शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2024 विधानसभा में पारित हो गया है।
इस बिल के अनुसार दल बदल विरोधी कानून के तहत विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य घोषित विधायक पेंशन का हकदार नहीं होगा। विधेयक को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में पेश किया। चर्चा के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई और सरकार से बिल पर पुनर्विचार करने की मांग की।
बिल पर चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जो हो गया, सो हो गया। आगे बढ़ने की सोच रखनी चाहिए। इस बिल में राजनीतिक प्रतिशोध की भावना झलक रही है। कांग्रेस के पूर्व विधायकों के मामले में दल बदल का विषय कहां से है। उन्होंने राज्यसभा के लिए वोट दिया और भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया।
इस आधार पर उनकी सदस्यता नहीं हई है। उनकी सदस्यता इस आधार पर गई कि पार्टी ने व्हिप जारी किया था और उन्होंने इसका उल्लंघन किया। इस आधार पर कार्यवाही हुई है। दल बदल के आधार पर नहीं हुई है। सभी 6 पूर्व विधायक भाजपा के सदस्य तो बाद में बने।
उन्होंने कहा कि रहम करना भगवान को अच्छा लगता है। आदमी गलतियों का पुतला है और रोज गलती करता है। रहम करने वाले हमेशा ऊपर होते हैं। मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि हम लोगों के पेंशन और भत्तों के पक्ष में हम 68 के अलावा कोई नहीं है। यह बात दूर तक जाएगी।
यह बिल आज सदन में पेश किया गया और सोशल मीडिया में पहले से चल रहा है। उसमें आप कमेंट देखें कि सबकी बंद कर दो। इसलिए कुछ चीजों को छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कितने विधायकों का अपना कारोबार है। मैं कहना चाहता हूं कि जितने भी सदस्य, वो सैलरी और पेंशन पर निर्भर हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बिल पर सुबह से मीडिया पर चर्चा हो रही है। आप जिस पार्टी से जीते हैं, उस पार्टी में रहिए कौन आपकी पेंशन बंद करता है। बिल में हमने एक खंड डाला है, उसमें प्रावधान किया है।
दल बदल और पैसे के बल लोकतंत्र मूल्य को खरीदने की कोशिश रुके हम यह चाहते हैं। यह बिल लोकतंत्र मूल्यों को मजबूत करने लिए लाया गया है। यह किसी भी पेंशन पर प्रभाव नहीं डालता है। जो दल बदल विरोधी कानून के तहत विधानसभा स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित होगा, वह सदस्य पेंशन का हकदार नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि बिल को लेकर दिल्ली में बड़े वकीलों से भी बात की है। उन्होंने कहा कि भविष्य जब भी कहीं भी दल बदल होगा, हिमाचल विधानसभा स्पीकर का नाम पहले आएगा और फिर बिल का नाम आएगा।
उन्होंने कहा कि राजनीति में भी पारदर्शिता, ईमानदारी और नैतिकता होनी चाहिए। नैतिकता को मजबूत करने के लिए बिल लाया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिल को पारित करने का आग्रह किया। इसके बाद बिल विधानसभा में पारित हो गया।
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