तरनदीप सिंह/मंडी। मजदूर संगठन सीटू के राज्यव्यापी विरोध दिवस पर आज मंडी में आंगनबाड़ी, मिड डे मील, रेहड़ी-फहड़ी, फोरलेन, निर्माण एवं मनरेगा तथा एचपीएमआरए यूनियनों से जुड़े सैकड़ों मज़दूरों ने ज़िला मुख्यालय मंडी में प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन का नेतृत्व सीटू के ज़िला महासचिव राजेश शर्मा, गुरुदास वर्मा, गोपेन्द्र शर्मा, सुरेश सरवाल तथा आंगनबाड़ी यूनियन की हमिन्द्री शर्मा, बिमला, सुदर्शना, नागो, तमन्ना और अर्चना तथा मिड डे मील के इन्द्र सिंह फोरलेन के राजेन्द्र कुमार और ललित और रेहड़ी-फहड़ी यूनियन के सुरेंद्र कुमार और प्रवीण कुमार तथा एचपीएमआरए के जगदीश व प्रकाश ठाकुर इत्यादि ने किया।
आज के प्रदर्शन और डीसी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे ज्ञापन में मांग की गई है कि केंद्र सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को रद्द करके बनाई चार श्रम संहिताओं को ख़त्म किया जाए और श्रम कानूनों को बहाल किया जाए।
सीटू महासचिव राजेश शर्मा ने कहा कि ये श्रम कोड पूर्व भाजपा सरकार के समय ही बना दिए गए थे लेकिन लागू नहीं हुए थे और अब फ़िर से सत्ता में मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने इन्हें 100 दिन में लागू करने का टारगेट तय किया है।
इसके विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके अलावा मज़दूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार मासिक करने की भी मांग की जा रही है। आज के सामूहिक प्रदर्शन के बाद आंगनबाड़ी यूनियन ने डीपीओ को मिड डे मील यूनियन ने उपनिदेशक शिक्षा तथा रेहड़ी फहड़ी यूनियन ने निगमायुक्त मंडी को अपनी मांगों के बारे अलग-अलग मांगपत्र सौंपे।
इनमें आंगनबाड़ी यूनियन ने मांग की है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के तहत ग्रुअचटी दी जाए, नर्सरी टीचरों की भर्ती, रेगुलर आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में से ही किया जाए और उन्हें इसके लिए एनटीटी प्रमाण पत्र में छूट दी जाए, सभी मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को पूर्ण केंद्र का दर्जा दिया जाए, 35 वर्ष से अधिक उम्र और पांच साल पूरा कर चुकी हैल्परों को वर्कर बनाया जाए, हरियाणा की तर्ज़ मानदेय और पेंशन दी जाये।
यदि इस बारे मांग न मानी गई तो यूनियन 28 जुलाई को सम्मेलन आयोजित करके आंदोलन की अगली रूपरेखा तैयार करेगी। वहीं, मिड डे मील यूनियन ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा उन्हें दस के बजाए 12 महीने का वेतन देने के फ़ैसले को तुरंत लागू किया जाए।
25 बच्चों की शर्त और स्कूलों को मर्ज करने या बन्द करने पर मिड डे मील वर्करों को भी दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाए या उन्हें विभाग में अन्य पदों पर नियुक्त किया जाए।
उन्हें सभी प्रकार की जरूरी छुट्टियां दी जाएं और छुट्टी के समय स्कूलों में खाना बनाने की व्यवस्था विभाग करे जो वर्तमान में वर्करों को ही करनी पड़ती है। रेहड़ी फहड़ी यूनियन ने निगमायुक्त मंडी को सौंपे ज्ञापन में मांग की गई कि जो फैसले टीवीसी में छः महीने पहले लिए गए वे अभी तक भी लागू नहीं किये गए हैं।
बहुत से रेहड़ी धारकों को लाइसेंस जारी नहीं किये गए हैं, रेहड़ियों को नेम प्लेट अभी तक भी नहीं दी गई है और न ही यलो लाइनें लगी हैं। गुजराती मार्केट तथा पंचवख्तर समुदाय के वर्करों की मांगों को भी अभी तक पूरा नहीं किया गया है। इसलिए यूनियन ने इन्हें जल्दी पूरा करने और टीवीसी की बैठक जल्दी बुलाने की मांग की है।
वहीं, दूसरी तरफ मनरेगा में मज़दूरों को घोषित 300 रुपए दिहाड़ी और सौ दिनों का रोज़गार नहीं मिल रहा है।
राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड का काम पिछले डेढ़ साल से बंद हो गया है और करोड़ों रुपए की सहायता रुकी हुई है जिसे जल्द जारी करने की भी मांग उठाई गई। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इस बारे अगले कल 19 जुलाई को यूनियनों की बैठक बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष के साथ शिमला में होने जा रही है।
इसके अलावा फोरलेन व एनएच,सफ़ाई मजदूरों, स्ट्रीट ट्रीटमेंट प्लांटों में काम कर रहे मज़दूरों की मांगों बारे तथा आशा वर्करों की मांगों बारे में भी आवाज़ उठाई गई।
इसके अलावा आज बीएलओ का काम कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्वाचन आयोग द्वारा दी जा रही 6 हज़ार रुपये की राशी को 15 हज़ार वार्षिक करने की मांग बारे डीसी मंडी को बीएलओ यूनियन की प्रधान अर्चना के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा जिसमें तमन्ना, रणो, हीरो, सुलेखा इत्यादि शामिल हुई।