शिमला में सीटू के महापड़ाव का आगाज, 26 हजार रुपये मांगा न्यूनतम वेतन
ewn24news choice of himachal 25 Nov,2023 2:24 pm
मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को रद्द करने की भी मांग
शिमला। केंद्र व प्रदेश सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू का तीन दिवसीय महापड़ाव शनिवार से प्रदेश सचिवालय के बाहर शुरू हो गया है। सीटू व हिमाचल किसान सभा के बैनर तले हिमाचल प्रदेश के मनरेगा, निर्माण, बीआरओ, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, उद्योगों, आउटसोर्स, ठेका कर्मी 25 से 27 नवंबर तक तीन दिन का महापड़ाव करेंगे। सीटू ने सरकार को चेताया है कि मजदूर व किसान 2024 में मोदी सरकार को सता से उखाड़ फेंकेंगे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसान मजदूर फैसले लेती आ रही है। तीन किसान विरोधी कानून किसानों के दबाव के बाद वापस लिए गए।
महापड़ाव के द्वारा मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को रद्द करने, आंगनबाड़ी, आशा व मिड डे मील योजना कर्मियों को नियमित करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 375 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने की मांग की जा रही है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने की मांग की जा रही है। केंद्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है।
सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने, बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, नौकरी से बाहर किए गए सैकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने की मांग भी की जा रही है।