शिमला। हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारियों की पुरानी पेंशन, बिजली बोर्ड में इंजीनियरों के खत्म किए गए 51 पदों और निकाले गए 81 चालकों की नौकरी बहाली पर अब 18 नवंबर को फैसला हो सकता है।
हिमाचल बिजली बोर्ड कर्मचारियों की मांगों पर 18 नवंबर को त्रिपक्षीय बैठक होगी। सोमवार को ऊर्जा सचिव राकेश कंवर और संयुक्त मोर्चा के बीच सचिवालय में पहले वार्ता हुई उसके उपरांत निदेशक वित्त के साथ बैठक हुई।
बैठक में सहमति बनी कि 18 नवंबर की बैठक में सरकार, बिजली बोर्ड प्रबंधन और संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारी मिलकर मांगों का समाधान निकालेंगे।
फिलहाल मांगों के पूरा होने तक संयुक्त मोर्चा का वर्क टू रूल जारी रहेगा। कर्मचारी और अभियंता सुबह नौ से शाम छह बजे तक ही सेवाएं देंगे।
उपभोक्ताओं की केवाईसी को लेकर शुरू किया गया काम भी बोर्ड कर्मचारी अभी नहीं करेंगे। सोमवार को संयुक्त मोर्चा के संयोजक लाेकेश ठाकुर और सहसंयोजक हीरालाल वर्मा ने ऊर्जा सचिव राकेश कंवर के साथ सचिवालय में बैठक की।
बैठक बोर्ड प्रबंधन के साथ प्रस्तावित थी, लेकिन प्रबंध निदेशक संदीप कुमार के शिमला में नहीं होने के चलते ऊर्जा सचिव ने स्वयं मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक की।
बैठक के उपरांत संयुक्त मोर्चा के सह संयोजक हीरालाल वर्मा ने बताया कि सोमवार को बिजली बोर्ड के कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चा की बैठक पहले सचिव ऊर्जा राकेश कंवर के साथ वार्ता हुई। इसमें कर्मचारियों ने बताया कि बोर्ड में प्रबंध निदेशक नहीं हैं।
सचिव ने निदेशक वित्त की अध्यक्षता में बैठक करने के निर्देश दिए। इसके बाद प्रबंधन के साथ हुई बैठक में कर्मचारियों ने प्रबंधन को बताया कि 81 चालकों के पद खत्म करने के निर्देश के लिए दिया तर्क सरासर गलत है, जिन कार्यालयों से पदों को खत्म करने की बात कही है, वहां पर अभी तक वाहन हैं, यहां पर चालकों की जरूरत है।
प्रबंधन ने गलत डाटा ही बनाकर इन लोगों की नौकरी को खत्म कर दिया है। इस कारण इन लोगों की नौकरी पर खतरा पैदा हुआ है।
इसके साथ ही यदि बिजली बोर्ड मैं इंजीनियरों के 51 पदों को खत्म कर दिया जाता है तो इससे बिजली बोर्ड के जो वर्तमान ढांचे पर खतरा मंडरा सकता है।
इससे काम चलाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए इन पदों को भी बहाल करना चाहिए। मोर्चे ने राज्य बिजली बोर्ड में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग को भी प्रबंधन के समक्ष रखा है।
हीरालाल वर्मा ने कहा कि राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने बोर्ड से 66 केवी क्षमता से ज्यादा ट्रांसफार्मरों को बिजली बोर्ड से वापस लेने की तैयारियों का विरोध किया है।
इन्हें बिजली बोर्ड से लेकर दूसरे विंगों को देने की तैयारी है। इसे किसी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह पूरी तरह से बिजली बोर्ड के 2010 में हुए समझौते के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने राज्य बिजली बोर्ड में कर्मचारियों की नई भर्ती जल्द करने की मांग उठाई है।
उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड में कर्मचारियों की कमी होने के कारण बिजली बोर्ड का काम प्रभावित हो रहा है। इन भी मसलों पर अब 18 नवंबर को सचिव ऊर्जा के साथ होने वाली बैठक में ही फैसले होने की उम्मीद है।