शिमला। राजधानी शिमला के रामकृष्ण मिशन आश्रम में बीते दिन हुए विवाद पर मिशन ने कहा है कि यह मामला रामकृष्ण मिशन और हिमालयन ब्रह्मो समाज के बीच विवाद का नहीं है। आश्रम में घुसे लोग भू-माफिया से संबंधित हैं। इस दौरान मिशन ने सरकार और प्रशासन पर अनदेखी करने का भी आरोप लगाया है।
शिमला में मीडिया से बातचीत में रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव तन्महिमानंद ने कहा कि मामला रामकृष्ण मिशन और हिमालयन ब्रह्मो समाज के बीच विवाद का नहीं है। मामला मिशन और भू-माफिया के बीच का है।
उन्होंने कहा कि आश्रम में जब यह लोग घुसे तो उन्होंने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, अनिरुद्ध सिंह और मुख्य सचिव को फोन मिलाया, मगर किसी ने फोन नहीं उठाया। आखिर में उन्हें नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से मदद मांगनी पड़ी। साथ उन्होंने पुलिस प्रशासन पर भी अनदेखी करने और मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है।
रामकृष्ण मिशन ने कहा कि आश्रम में घुसे लोग तोड़फोड़ करने के बाद चुपचाप चले गए, लेकिन प्रशासन ने कोई रिकॉर्ड नहीं लिया। उन्होंने शिमला पुलिस अधीक्षक पर भी मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है।
हिमालयन ब्रह्मो समाज के सचिव ललित वर्मा ने कहा कि वह 2015 से समाज के ट्रस्टी हैं। विवाद मिशन और ब्रह्मो समाज के बीच नहीं है। साल 2014 में हिमालय ब्रह्मो समाज के ट्रस्टी ने उपहार अभिलेख यानी गिफ्ट डीड के जरिए रामकृष्ण मिशन को जमीन दी।
रामकृष्ण मिशन का कहना है कि पूरे मामले में आश्रम में माली के तौर पर काम करने वाला शख्स है। उसने साल 2007 में हिमाचल में हिमालय ब्रह्मो समाज के समांतर गलत तरीके से ट्रस्ट बना दिया।
मामला हाईकोर्ट पहुंचा। साल 2011 में हाईकोर्ट ने उक्त व्यक्ति द्वारा बनाए गए ट्रस्ट को हिमालय ब्रह्मो समाज का नाम और लोगो इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी। इसके बाद से लगातार मामला न्यायालय में है।
हिमालयन ब्रह्मो समाज के संयुक्त सचिव शैल पंडित ने कहा कि 2014 में संपत्ति को रामकृष्ण मिशन को गिफ्ट डीड में दिया गया। हमारा ब्रह्मो समाज स्वतंत्र है और किसी के साथ नहीं जुड़ा है। इसका किसी अन्य ब्रह्मो समाज से कोई नाता नहीं है।