शिमला। हिमाचल प्रदेश में माह की चार तारीख होने के बाद भी कर्मचारियों को सैलरी और पेंशनर को पेंशन न मिलने का मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्ष हिमाचल में आर्थिक संकट की बात कर सरकार को घेर रहा है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मामले को सदन में पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत उठाया। कहा कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं, जिसको लेकर कांग्रेस सरकार और कांग्रेस की गारंटियां सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
सरकार इसको लेकर स्थिति स्पष्ट करे। सीएम कभी कहते हैं आर्थिक संकट है और कभी कहते हैं नहीं है। सीएम को जानकारी ही नहीं है कि हो क्या रहा है। कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है और केंद्र पर निर्भर हो गई है। आने वाले दिनों में स्थिति और विकराल हो जाएगी।
वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट नहीं है। वित्तीय सुधारों व अनुशासन के लिए कर्मचारियों की सैलरी रोकी गई और इसको रोकने से सरकार ने कर्ज के ब्याज का 3 करोड़ रुपए बचाए हैं, जो साल के 36 करोड़ बनते हैं।
सरकार को कर्मचारियों के वेतन के लिए 1200 करोड़ और पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपए चाहिए होते हैं, जिसके लिए कर्ज उठाना पड़ता है।
कर्मचारियों को सैलरी 5 तारीख और पेंशन 10 तारीख को मिलेगी। अगले महीने से इसे 1 तारीख को देने की कोशिश करेंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी माना कि चुनावों के वक्त राजनीतिक दल सत्ता के लिए फ्रीबीज की घोषणाएं करते हैं, जोकि प्रदेश के हित में नहीं होती है और इस तरह के आर्थिक हालात पैदा हो जाते हैं।