शिमला। हिमाचल प्रदेश में वित्तीय संकट को लेकर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है।
पहले हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में वित्तीय संकट की बात कर खुद, मंत्रियों, सीपीएस व विधायकों की सैलरी 2 महीने के लिए विलंबित करने का निर्णय लिया और बाद में कहा कि प्रदेश में कोई वित्तीय संकट नहीं है।
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में राहुल गांधी की खटाखट गारंटियों की पोल खुल गई है, इससे और राज्यों को भी सबक लेना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि आज 3 तारीख होने के बावजूद कर्मचारियों के खाते में सैलरी और पेंशनरों को पेंशन नहीं आई है, जबकि मुख्यमंत्री कभी कह रहे हैं कि आर्थिक संकट है और कभी कह रहे हैं कि आर्थिक संकट नहीं है।
अगर आर्थिक संकट नहीं है तो कर्मचारियों को सैलरी क्यों नहीं आई। विपक्ष ने इसी को लेकर सदन में चर्चा मांगी थी, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट पैदा हो गया है और विपक्ष इसको लेकर गंभीर है।
गारंटी पूरी करने के चक्कर में अब कर्मचारियों को सैलरी तक नहीं मिल रही है, जोकि हिमाचल के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। विपक्ष विधायक दल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर दखल की मांग की है। भाजपा कांग्रेस की खटाखट गारंटियों का चुनावी राज्यों में भी पोल खोलेगी।
कर्मचारियों को 3 तारीख होने के बावजूद भी सैलरी नहीं मिलने पर कर्मचारियों में भी खासा रोष है। सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के महासचिव कमल कृष्ण शर्मा और शिक्षक नेता मामराज पुंडीर का कहना है कि सैलरी कब आएगी इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है और न ही सरकार ने इसकी कोई आधिकारिक सूचना दी है।
कर्मचारियों को इधर-उधर से उधार लेकर खर्चा चलाना पड़ रहा है। कर्मचारियों को बिजली, पानी, राशन इत्यादि के बिल देने होते हैं जो नहीं दे पा रहे हैं।
कर्मचारियों के ईएमआई पर भी असर हो रहा है। बैंक से कर्मचारियों को फोन आ रहे हैं और कुछ को तो पेनल्टी भी लग गई है, जो कर्मचारी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है, उसके तबादले किए जा रहे हैं।