हमीरपुर। जिला हमीरपुर के गांव अघार में 10 वर्षीय दैविक खरयाल ने हाल ही में एक हिंदी साइंस फिक्शन पुस्तक लिखी है। नौणी में माननीय स्वास्थ्य मंत्री हिमाचल प्रदेश कर्नल धनी राम शांडिल द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान इस पुस्तक "डिवाइन डी" का लोकार्पण किया गया।
"डिवाइन डी" का प्रथम भाग परमाणु खतरे की आहट सामान्य दिखने वाले दसवीं कक्षा के दो अफ्रीकन जनजातीय छात्रों, एक छात्रा तथा उनके कुत्ते पर आधारित है जो एक दिन अचानक दैवीय शक्तियां पा लेते हैं फिर उनका मिशन परमाणु ऊर्जा के दुरुपयोग को रोकना हो जाता है।
दैविक खरयाल के पिता नवीन कुमार खरयाल व मां बबीता जसवाल हैं। दैविक का जन्म 12 नवंबर 2013 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के गांव अघार में हुआ। पिता की नौकरी के कारण उनकी शिक्षा ढिलवा इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल (डिप्स) सूरानसी, जालंधर, पंजाब से शुरू हुई।
उसके बाद माउंट मौर्य पब्लिक स्कूल, जोगिंदर नगर, हिमाचल प्रदेश और अल्पाइन पब्लिक स्कूल नालागढ़, सोलन, हिमाचल प्रदेश जैसे स्कूलों में पढ़ने के पश्चात वर्तमान में वह एमआरए डीएवी पब्लिक स्कूल सोलन में छठी कक्षा के छात्र हैं।
विभिन्न स्कूलों में पढ़ने तथा माता-पिता के लेखन कार्य क्षेत्र में रुचि होने के कारण उनका रुझान चित्रकला तथा लेखन के प्रति छोटी कक्षाओं से ही रहा है। इसी वर्ष प्रकाशित काव्य पुस्तक “बाल प्रहर” की प्रस्तावना में उनके द्वारा बनाए गए चित्र को प्रकाशित किया गया।
टीवी प्रोग्राम्स में कार्टून सुपरहीरोज को देखते-देखते दैविक के मन में यह भावना उत्पन्न हुई कि एक कॉमिक्स बुक या कोई सुपर हीरोज की पुस्तक श्रृंखला खुद भी लिखी जा सकती है।
धीरे-धीरे दैविक ने कुछ काल्पनिक कहानियां लिखना शुरू किया तथा “पोरामैन” नामक एक छोटी सी काल्पनिक कहानी बनाई जो कि एक सुपर हीरो के ऊपर आधारित थी। उनके माता-पिता तथा अध्यापिका ने जब इसे पढ़ा तो कुछ और बड़ा लिखने के लिए उसे प्रोत्साहित किया। इससे प्रभावित होकर दैविक ने "डिवाइन डी" नामक एक साइंस फिक्शन सीरीज लिखने का फैसला किया।
लगभग तीन-चार महीने सुबह या शाम हर रोज थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर इस श्रृंखला का पहला भाग लिखा जो कि हाल ही में बनकर हो पूरा हो गया। इस पुस्तक के चित्रांकन भाग के लिए उन्होंने अपने माता-पिता को चुना साथ ही आपने इस पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद के लिए भी तैयारी शुरू कर दी।
परमाणु हथियारों के खतरे तथा उनको रोकने के लिए प्रतिबद्ध सुपर हीरोज डिवाइन डी टीम के ऊपर लिखी इस पुस्तक के लिए निश्चय ही उन्होंने विज्ञान तथा इससे जुड़ी हुई जानकारियां प्राप्त करने के लिए कुछ समय व्यतीत किया होगा।
यह पुस्तक उनके जीवन का प्रथम प्रकाशित संस्करण है। इस बाल उम्र में लेखन तथा चित्रकला के प्रति आपकी रुचि को देखते हुए यह उम्मीद की जा सकती है कि निश्चय ही दैविक इन क्षेत्रों में अपना काफी लंबा योगदान दे सकते हैं। उम्मीद है कि पाठकों को, विशेषकर बाल तथा युवा वर्ग को यह पहल पसंद आएगी।