शिमला। घाटे में चल रहे पर्यटन निगम के होटलों को हाई कोर्ट द्वारा बंद करने के फैसले पर पर्यटन विकास निगम के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
पर्यटन विकास निगम कर्मचारी संघ ने शिमला में पत्रकार वार्ता कर कहा कि कोर्ट में पर्यटन निगम ने जानबूझकर 18 होटलों को घाटे में दर्शाया जबकि हकीकत में यह होटल घाटे में नहीं है।
पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आरएस बाली पहले दिन से ही निगम के होटलों को निजी हाथों में देने की फिराक में थे जबकि निगम की स्थिति को सुधारने की तरफ कोई काम नहीं किया गया।
पर्यटन विकास निगम कर्मचारी संघ ने आरएस बाली का इस्तीफा मांगा है और निगम का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री द्वारा संभालने की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि होटल की ऑक्युपेंसी के आधार पर होटल को घाटे में नहीं माना जा सकता है।
होटल में आय के और भी साधन हैं जिन्हें कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया। पर्यटन निगम से रिटायर होने वाले कर्मचारियों की देनदारियां निगम नहीं दे पाया है जिसके बाद हाई कोर्ट ने इस तरह का कदम उठाया है।
अगर सरकार 50 करोड़ रूपए निगम को जारी कर देती है तो देनदारियां उसमें हल हो जाएंगी, लेकिन पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आरएस बाली सरकार के समक्ष मुद्दा नहीं उठा रहे जिसके चलते निगम आज इस स्थिति में आ खड़ा हुआ है।