शिमला। हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी महासंघ और मंत्री राजेश धर्माणी के बीच उपजा विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है।
सचिवालय कर्मचारी महासंघ के नेताओं की भाषा पर आपत्ति जताते हुए राजेश धर्माणी ने कहा कि महासंघ के कुछ नेता गुंडे मवाली की तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जोकि उनके कंडक्ट रूल के भी खिलाफ है।
सरकार ने कभी भी कर्मचारियों के डीए और एरियर को देने की मनाही नहीं की है। सचिवालय कर्मचारियों ने बिना मांगपत्र दिए बवाल खड़ा किया है और मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सीएस पर टीका टिप्पणी कर रहे हैं।
राजेश धर्माणी ने कहा कि सचिवालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सबको सर्टिफिकेट दे रहे हैं और जिस भाषा शैली का इस्तेमाल हुआ वो जायज नहीं थी। दायरे में रहकर अपनी बात रखने का सभी को अधिकार है।
कुछ लोग सरकार के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं। राजेश धर्माणी ने कहा कि हिमाचल के समग्र विकास के लिए सबकी जिम्मेदारी है और सभी कर्मचारी भाई बहन सरकार का अभिन्न अंग हैं। कांग्रेस सरकार हमेशा से ही कर्मचारी हितैषी रही है।ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की है और अभी तक 7 प्रतिशत डीए दिए गए हैं।
भाजपा सरकार से कर्मचारियों की 9 हजार करोड़ की देनदारी विरासत में मिली है। एनपीएस का 9200 करोड़ रुपए भारत सरकार के पास पेंडिंग हैं, लेकिन उसके लिए कोई धरना नहीं दे रहे।
धर्माणी ने कहा कि आज कर्मचारियों की दोनों फेडरेशन से बातचीत हुई और सरकार उनकी उचित मांगों को पूरा करेगी। 6 महीने का समय सीएम ने मांगा है, लेकिन दोनों फेडरेशन ने डीए को लेकर जल्दबाजी नहीं की है। सचिवालय कर्मचारी महासंघ विधायकों और मंत्रियों को टारगेट कर रहे हैं। मंत्री अपने भत्तों में कटौती को तैयार हैं, लेकिन क्या कर्मचारी तैयार हैं।
वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल के बयान पर पलटवार करते हुए राजेश धर्माणी ने कहा कि राजीव बिंदल को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए। धर्माणी ने कहा कि मेरे राजीव बिंदल की तरह कारनामे नहीं हैं, जो मुझे पद से हटाना पड़े।