शिमला। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित महान शास्त्रीय संगीतकार व हिमाचल के प्रसिद्ध लोक कलाकार प्रोफेसर नंद लाल गर्ग का निधन हो गया है।
शिमला जिला के धामी के मूल निवासी प्रोफेसर नंद लाल ने 92 वर्ष की आयु में शिमला में अंतिम सांस ली। वह एक महान शास्त्रीय संगीतकार, लोक कलाकार और प्रख्यात लेखक थे।
उनके निधन से राज्य और सांस्कृतिक समुदाय में शोक की लहर है। हिमाचली संगीत, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और उसे संरक्षित करने में उनका योगदान अतुलनीय था।
प्रोफेसर नंद लाल गर्ग के निधन की दुःखद खबर प्राप्त होने पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रो. नंद लाल गर्ग का पूरा जीवन कला और संगीत की सेवा में समर्पित रहा। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में संगीत प्रोफेसर के रूप में उन्होंने अनेक विद्यार्थियों को संगीत की विधाओं से परिचित करवाया।
उनकी शिक्षा और मार्गदर्शन ने कई युवा कलाकारों को संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। प्रो. नंद लाल गर्ग की बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें न केवल एक कुशल संगीतकार के रूप में प्रतिष्ठित किया, बल्कि हिमाचली वाद्ययंत्रों को भी देश-विदेश में एक अलग पहचान दिलाई, जिसे हमेशा स्मरण किया जाएगा।
प्रार्थना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक-संतप्त परिवार को इस दुःख की घड़ी में धैर्य एवं संबल प्रदान करें।
बता दें कि प्रोफेसर गर्ग शिमला के प्रसिद्ध 'धामी घराना' के वंशज थे। हिमाचल प्रदेश की लोक परंपराओं को भी संरक्षित करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
2023 में, प्रोफेसर गर्ग को संगीत नाटक अकादमी द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके जीवन भर के सांस्कृतिक योगदान का प्रतीक था। उनके संगीत और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें भारत के सांस्कृतिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलवाया। इसके अलावा, वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पहले संगीत प्रथम अन्वेषकों में रहे और उन्होंने यहां अनेक छात्रों को संगीत शिक्षा दी।
प्रोफेसर गर्ग ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन शिमला के पायनियर कलाकार भी रहे, जहां उन्होंने क्षेत्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया। वह एक प्रसिद्ध लेखक भी थे, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश की संगीत, वाद्य यंत्रों और कला संस्कृति पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। उनकी पुस्तकें और डॉक्यूमेंटरी देशभर में सराही गईं, और भारत सरकार से उन्हें मान्यता प्राप्त हुई।
प्रोफेसर गर्ग राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय के स्तर पर भी कई सांस्कृतिक समितियों और प्रख्यात संस्थानित सम्मेलनों जैसे कि यूनेस्को आदि के सदस्य रहे।