धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में हरित ऊर्जा और उभरती तकनीकों की दिशा में एक सशक्त कदम उठाते हुए आज नाबार्ड, हिमाचल प्रदेश के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. विवेक पठानिया ने खनियारा, धर्मशाला में एक अभिनव कौशल विकास कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
"Empowering Electric Mobility Future: Training Electric Vehicle Charging Station Technicians" परियोजना के अंतर्गत पहले आवासीय बैच का शुभारंभ किया गया। यह कार्यक्रम मेहर चंद महाजन विद्यावती पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है और इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को ईवी चार्जिंग तकनीक में दक्ष बनाना है ताकि वे देश की हरित ऊर्जा क्रांति में भागीदार बन सकें।
कार्यक्रम के दौरान, आशीष गुप्ता, सहायक महाप्रबंधक, जेसीबी इंडिया लिमिटेड; हिमांशु साहू, नाबार्ड जिला विकास प्रबंधक, कांगड़ा; विवेक महाजन, मैनेजिंग ट्रस्टी, एम.सी.एम. ट्रस्ट तथा एल.पी. सूदन, ट्रस्टी, एम.सी.एम. ट्रस्ट भी बतौर सम्मानित अतिथि उपस्थित रहे।
इस अवसर पर डॉ. विवेक पठानिया ने कहा, "नाबार्ड ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने के लिए व्यापक कौशल विकास पहलों के माध्यम से प्रतिबद्ध है। विभिन्न क्षेत्रों की उभरती मांगों को पहचानते हुए, नाबार्ड अत्याधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण युवा और उद्यमी समकालीन स्किल्स से सुसज्जित होकर सतत आजीविका और आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ सकें।
इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु CII-MCM ट्रस्ट मल्टी स्किल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, खनियारा में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन तकनीशियनों का 400 घंटे का पूर्णतया निशुल्क आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ किया गया है। यह पहल ग्रामीण युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है।"
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2024-25 के दौरान नाबार्ड ने हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार को ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (RIDF) के अंतर्गत कुल ₹110.95 करोड़ की वित्तीय सहायता स्वीकृत की है, जिसके तहत राज्य के10 जिलों में 96 इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित करने की लिए 53 परियोजनाएं सम्मिलित हैं।
उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों के उज्जवल भविष्य की आशा जताई तथा युवाओं से आग्रह किया कि वे इस तेजी से विकसित होते क्षेत्र में कौशल प्राप्त कर नई ऊंचाइयों को छुएं। इस छह माह की परियोजना में 60 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें 30 आवासीय और 30 गैर-आवासीय प्रशिक्षणार्थी शामिल हैं।
प्रशिक्षण में तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स और उद्यमिता का भी समावेश किया गया है। आज शुरू हुए पहले बैच में कांगड़ा जिले के ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से आए युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
यह पहल नाबार्ड की "हरित और कौशलयुक्त ग्रामीण समृद्धि" की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो यह सुनिश्चित करती है कि भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में ग्रामीण युवा भी पीछे न रहें।
इसके उपरांत, आशीष गुप्ताने जानकारी दी कि JCB इंडिया पिछले दो वर्षों से एम.सी.एम. ट्रस्ट के साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कर रही है। उन्होंने बताया कि "जो प्रशिक्षणार्थी यहाँ से सफलतापूर्वक JCB का प्रशिक्षण पूर्ण करते हैं, उन्हें JCB मशीन खरीदने पर 25% की छूट दी जाती है। इतना ही नहीं, यह प्रमाण पत्र विदेशों में नौकरी पाने के लिए भी मान्य होता है। कई छात्र इस प्रशिक्षण के बाद भारतीय सेना में भी चयनित हो चुके हैं।"
इस उपलक्ष्य पर, संस्थान द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए, जिनमें JCB का प्रशिक्षण ले चुकी महिला प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देना एक गौरवपूर्ण क्षण रहा।
विवेक महाजन ने बताया, “संस्थान के इतिहास में यह पहली बार है जब महिलाओं ने JCB प्रशिक्षण लिया और सफलता पूर्वक पूर्ण किया।“ कार्यक्रम का समापन विवेक महाजन ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए किया।