तरनदीप सिंह/मंडी। हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक मंडी जिले में स्थित बाबा भूतनाथ मंदिर में अब एक महीने तक हर रोज प्रसिद्ध मंदिरों में विराजमान भोलेनाथ के दर्शन होंगे। तारा रात्रि से मक्खन रूपी घृत कंबल चढ़ाने की शुरुआत हो गई है।
इसी के साथ महाशिवरात्रि मेले के कारज का भी श्रीगणेश हो गया है। पहले दिन पहाड़ी गाय के 21 किलो मक्खन से शिवलिंग का शृंगार किया गया। पहले शिवलिंग पर मक्खन ही चढ़ाया जाता था शृंगार नहीं किया जाता था। अब मक्खन से शिवलिंग का शृंगार किया जाता है।
शिवरात्रि तक यानी एक महीना तक शिवलिंग पर मक्खन से भोलेनाथ के विभिन्न रूप उकेरे जाएंगे। देश के प्रसिद्ध मंदिरों में विराजमान भोलेनाथ का रूप उकेरा जाता है। बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि मंदिर में प्राचीन समय से चली आ रही मक्खन चढ़ाने की परंपरा को विधि विधान के साथ निभाया जाएगा।
एक महीने तक भिन्न-भिन्न स्वरूपों के दर्शन देने के बाद 26 फरवरी को सुबह मक्खन निकल जाएगा और भक्त जनों को पुनः बाबा भूतनाथ अपने रूप में दर्शन देंगे।
मान्यता है कि मक्खन को घृत मंडल के रूप में शिव भगवान को चढ़ाया जाता था। आध्यात्मिक दृष्टि से भगवान को 11 महीने तक जल चढ़ाया जाता है। एक महीना जल की गागर को उतारकर मक्खन चढ़ाया जाता है। प्राचीन समय में राजघराने में ही मक्खन चढ़ाया जाता था लेकिन आज हर श्रद्धालु इस परंपरा में हिस्सा लेता है।
बाबा भूतनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग के पीछे भी एक कहानी है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक गाय हर दिन नदी पार कर थनों से दूध की धारा भूतनाथ मंदिर के पास डालती थी।
यह खबर लोगों के बीच फैल गई तो राजा अजबर सेन को सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिए और बताया कि जिस स्थान पर गाय दूध की धारा बहाती है वहां एक शिवलिंग है। शिव भगवान ने सपने में राजा से उस स्थान पर मंदिर बनाकर उसे भूतनाथ का नाम देने को कहा। राजा ने जाकर देखा तो वहां सचमुच एक शिवलिंग स्थापित मिला। इसके बाद मंदिर का निर्माण किया गया।