शिमला। कोटखाई गुड़िया मामले से जुड़े सूरज कस्टोडियल डेथ केस में सीबीआई की चंडीगढ़ अदालत ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है।
मामले में आईजी जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी समेत आठ पुलिस जवानों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। इसी के साथ सभी को एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
चंडीगढ़ में सीबीआई की अदालत में न्यायमूर्ति अलका मलिक ने शनिवार 18 जनवरी को हिमाचल कैडर के आईपीएस जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी सहित एसएचओ व अन्य को सूरज कस्टोडियल डेथ मामले में दोषी करार दिया था। कोर्ट ने आज सजा पर फैसला सुनाया है।
मामला जुलाई 2017 का है। अप्पर शिमला के कोटखाई के हलाइला इलाके के दांदी जंगल में एक स्कूल छात्रा की लाश मिली थी। ये छात्रा 4 जुलाई को स्कूल से घर जाने के लिए निकली थी, लेकिन घर नहीं पहुंची। परिजनों ने तलाश शुरू की तो 6 जुलाई को उसका निर्वस्त्र शव दांदी के जंगल में मिला।
घटना पर जनता का गुस्सा फूटा तो तत्कालीन सरकार ने आईजी रैंक के अफसर जहूर जैदी की अगुवाई में एसआईटी गठित की। एसआईटी ने जांच शुरू की और कुछ लोगों को पकड़ने के बाद दावा किया कि उसने केस सॉल्व कर लिया है।
इसी दौरान पकड़े गए कथित आरोपियों में से एक सूरज की कोटखाई थाने की कस्टडी में मौत हो गई। जनता को पहले से ही पुलिस जांच पर शक था। नाराज लोगों ने भारी प्रदर्शन किया और कोटखाई थाने में आग लगा दी।
सीबीआई के पास जांच पहुंचने से पहले एसआईटी प्रमुख जैदी सूरज की मौत को दो कथित आरोपियों के बीच हवालात में मारपीट में बदलने में जुटी थी। झूठा मामला बना दिया गया था यहां तक कि सूरज की लाश को अंतिम संस्कार के लिए लाया गया और जल्दबाजी में संस्कार करने का प्रयास किया गया।
उधर, सीबीआई ने निर्देश जारी किया था कि सूरज के पार्थिव शरीर को न जलाया जाए क्योंकि उसे अपने तरीके से पोस्टमार्टम करवाना है। सीबीआई ने एम्स दिल्ली की टीम से पोस्टमार्टम करवाया। रिपोर्ट में सामने आया कि सूरज की मौत अत्यधिक पिटाई से हुई है। एसआईटी पर भी जल्दी केस को सॉल्व करने की चुनौती थी। इसी जल्दबाजी में झूठी कहानी गढ़ी गई।
आईजी जहूर जैदी अपने फोन में की गई एक रिकॉर्डिंग की वजह से सीबीआई के रडार पर आए। दरअसल, थाने में उस दिन नाइट ड्यूटी पर कांस्टेबल दिनेश संतरी के रूप में तैनात था। पिटाई मामले में दिनेश एकमात्र चश्मदीद था।
दिनेश ने इस झूठ में शामिल होने से इनकार कर दिया फिर अगले दिन यानी 19 जुलाई को आईजी जहूर जैदी कोटखाई थाने पहुंचे और खुद के मोबाइल से दिनेश का बयान रिकार्ड किया।
आईजी जैदी ने चालाकी से इस रिकॉर्डिंग को जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं किया। जैदी ने एक झूठी शिकायत पर दिनेश के हस्ताक्षर करवाए।जबरन साइन करवाने के दौरान उसे सस्पेंड करने की धमकी भी दी गई।
दिनेश के नाम से इसी शिकायत पर कथित रूप से आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान बाद में आईजी जैदी का फोन जब्त किया था और फोन में सीबीआई को दिनेश की रिकार्डिंग मिल गई।
दिनेश इस हाई प्रोफाइल इन्वाल्वमेंट का दबाव झेल नहीं पाया। उसने परिजनों से बात की और वे उस समय भाजपा के विधायक बलवीर वर्मा से मिले। दिनेश को सीबीआई के पास जाकर सब बताने में ही भलाई लगी। सीबीआई ने दिनेश के फोन में कॉल रिकॉर्डिंग वाला फीचर सक्रिय कर दिया।
यहीं से जहूर जैदी का फंसना शुरू हो गया। दिनेश के फोन में आईजी जैदी की एक कॉल रिकॉर्ड हुई, जिसमें वो दिनेश को चुप रहने और मामला संभाल लेने को कह रहे थे। इसके बाद सीबीआई ने तत्कालीन डीजीपी सोमेश गोयल को सब मामला बताया और फिर आईजी जैदी सहित डीएसपी मनोज जोशी व अन्य को पकड़ लिया।
एसआईटी में शिमला के तत्कालीन एएसपी भजन नेगी ने भी सीबीआई को गवाही दी थी कि आईजी जहूर जैदी व डीएसपी मनोज जोशी कथित रूप से पकड़े गए आरोपियों से जबरन ये बयान लेना चाहते थे कि गुड़िया के साथ उन्होंने ही दुष्कर्म किया है।