ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की महाराणा प्रताप सागर झील यानी पौंग डैम में इन दिनों हजारों टन लकड़ियां पानी में तैरती दिख रही हैं। डैम के मुख्य गेट के पास पानी में तैरती इन लकड़ियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही हैं। लोग इन्हें फिल्म ‘पुष्पा’के दृश्य से जोड़कर “पुष्पा राज का माल पहुंच गया” जैसे कैप्शन के साथ शेयर कर रहे हैं।
यह पहला मौका नहीं है, जब झील में इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ियां बह कर पहुंची हैं। बीते दो वर्ष में भी भारी मात्रा में लकड़ी झील में आई थी, जो अब तक किनारों पर सड़ रही है। इस बार भी वही हालात बनते दिख रहे हैं।
झील की सतह पर फैली लकड़ियां न केवल प्राकृतिक सौंदर्य को बिगाड़ रही हैं, बल्कि पर्यावरण और सुरक्षा के लिए भी खतरा बनती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते इन लकड़ियों को नहीं हटाया गया, तो जैसे ही बांध के गेट खोले जाएंगे, यह सारा मलबा ब्यास नदी में चला जाएगा। इससे भारी राजस्व की बर्बादी होगी। साथ ही नदी में रुकावट और बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं।
सरकार को इन लकड़ियों से लाखों रुपये का राजस्व मिल सकता था, लेकिन ये बांध में सड़ रही हैं। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कब तक प्राकृतिक संसाधनों की इस तरह बर्बादी होती रहेगी और इसका जिम्मेदार कौन होगा।
इससे पहले मंडी के पंडोह डैम में बहकर आई लकड़ियों पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल चिंता जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि जंगलों की कटाई और लापरवाही से हम अपने भविष्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
वाइल्ड लाइफ डीएफओ हमीरपुर रेजिनोल्ड रॉयस्टन ने कहा कि विभाग की नजर इस स्थिति पर है। लकड़ियों को जल्द हटाया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति इन लकड़ियों को अवैध रूप से उठाते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। संबंधित वाहन भी जब्त किया जाएगा।