शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के आठवें दिन सदन में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के शब्दों पर काफी बवाल देखने को मिला।
आपदा पर सदन में नियम 102 के अंतर्गत मुख्यमंत्री ने सरकारी संकल्प पेश किया और केंद्र सरकार के 2024-25 के बजट अभिभाषण में आपदा प्रभावित तीन राज्यों सिक्किम, असम और उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल में हुई आपदा में उसी तरह आर्थिक सहायता प्रदान करने की बात कही।
संकल्प पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया और विपक्ष के नेता पर भी निशाने साधे, जिस पर काफी बवाल हुआ और विपक्ष ने जगत सिंह नेगी की भाषा पर आपत्ति जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सदन में गैर सरकारी सदस्य दिवस पर आपदा को लेकर सरकार सरकारी संकल्प लेकर आई, जो नियमों के मुताबिक नहीं आ सकता था।
फिर भी विपक्ष ने इसका समर्थन किया, क्योंकि मसला प्रदेश की केंद्र से आपदा में मदद दिलाने के लिए था। पर बीच में ही सरकार के बेलगाम मंत्री जगत सिंह नेगी, जो न तो सरकार की सुनते हैं और न ही स्पीकर की सुनते हैं, वह ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने लगे जो बर्दाश्त नहीं किए जा सकते हैं। इसलिए विपक्ष सदन से बाहर आ गया।
विपक्ष प्रस्ताव का समर्थन करता है, लेकिन मंत्री के शब्दों से विपक्ष आहत हुआ है। इससे पहले भी सदन के भीतर मंत्री ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं, जिन्हें कार्यवाही से भी निकाला जा चुका है, लेकिन मंत्री फिर भी बाज नहीं आ रहे हैं।
कंगना रनौत के लिए भी अपशब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं, जिन्हें कार्यवाही से नहीं निकाला गया है। मुख्यमंत्री मंत्री को रोकने के बजाय आपदा जैसे गंभीर मसलों पर हंसते रहते हैं, जोकि मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता, कभी तो मुख्यमंत्री गंभीरता दिखाएं।
वहीं, सदन में विपक्ष के वॉकआउट और आपदा के संकल्प में मौजूद न होने पर निंदा प्रस्ताव पारित किया गया और विपक्ष के व्यवहार को गैर जिम्मेदारना ठहराया।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने आपदा पर सदन में सरकारी संकल्प को पारित कर दिया और केंद्र सरकार से उत्तराखंड, सिक्किम और असम की तर्ज पर हिमाचल की आपदा में नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक मदद की मांग की गई।