हिमाचल : एक और पश्चिमी विक्षोभ हो सकता है सक्रिय, कैसे रहेंगे मौसम के मिजाज- जानें
ewn24news choice of himachal 02 Jun,2023 11:59 pm
6 जून से फिर पूरे प्रदेश में एक दो स्थानों पर बारिश का अनुमान
शिमला। पश्चिमी विक्षोभ अभी पीछा छोड़ने वाला नहीं है। 6 जून को एक नया पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। इससे पूरे हिमाचल में फिर मौसम बिगड़ सकता है। अब यह देखना होगा कि इसका क्या प्रभाव रहता है।
हालांकि, पहले के पश्चिमी विक्षोभ का अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिला है। इसके चलते अप्रैल, मई में अच्छी बारिश हुई है। जून में भी दो दिन रिकॉर्ड बारिश दर्ज की है।
जून में दो दिन बिलासपुर जिला में 2111, चंबा में 454, हमीरपुर में 1015, कांगड़ा में 866, किन्नौर में 725, कुल्लू में 671, लाहौल स्पीति में 555, मंडी में 322, शिमला में 857, सिरमौर में 1040, सोलन में 1398 व ऊना में 1257 फीसदी सामान्य से अधिक मेघ बरसे हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र की अपडेट के अनुसार तीन जून को पूरे हिमाचल में मौसम बिगड़ा रह सकता है। एक दो स्थानों पर हल्की बारिश की संभावना है। 4 व 5 जून को मैदानी क्षेत्रों में मौसम साफ बना रह सकता है।
मध्य और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम खराब रहने का अनुमान है। 6 जून से फिर पूरे हिमाचल में मौसम बिगड़ सकता है। एक दो स्थानों पर बारिश की संभावना है। 7 और 8 जून को भी एक दो स्थानों पर हल्की बारिश का अनुमान है।
पिछले 24 घंटे में नादौन में 21, बंगाणा में 20, डलहौजी में 15, सुजानपुर टीहरा व गुलेर में 14-14, रोहड़ू व भराड़ी में 13-13, भोरंज व पंडोह में 11-11, रामपुर व सोलन में 10-10, नगरोटा सूरियां में 9, सराहन में 8, कुमारसैन, ठियोग, बिलासपुर, भुंतर व भरमौर में 6-6 मिलीमीटर बारिश हुई है। हिमाचल में न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से काफी कम हैं।
शुक्रवार को केलांग का सबसे कम न्यूनतम तापमान 3.7 और वीरवार को हमीरपुर का सबसे अधिक अधिकतम तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया है। गर्मियों में आग की तरह तपने वाला ऊना सर्दी की आगोश में है। ऊना का अधिकतम तापमान काफी कम चल रहा है।
पश्चिमी विक्षोभ शब्द इन दिनों काफी सुनने को मिल रहा है। आखिर पश्चिमी विक्षोभ है क्या आपको बताते हैं। पश्चिमी विक्षोभ यानि वेस्टर्न डिस्टर्बन्स भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाकों में सर्दियों के मौसम में आने वाला ऐसा तूफान है जो उत्तर, भारत, पाकिस्तान, नेपाल से गुजरते हुए इनके दायरे में आने वाले वायुमंडल की ऊंची तहों में भूमध्य सागर, अन्ध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाता है। इससे मौसम में बदलाव आता है। हवा के ऊपरी भाग में चक्रवाती हवा का घेरा बनता है। यह अफगानिस्तान-पाकिस्तान से कश्मीर-हिमाचल व उत्तराखंड तक पहुंचता है।
रिव्यूज ऑफ जियोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित “वेस्टर्न डिस्टर्बेंसेज: अ रिव्यू” की बात करें तो दिसंबर से मार्च के बीच हर माह औसतन चार से छह बार तेज पश्चिमी विक्षोभ का सामना भारत करता है। इस पूरी अवधि के दौरान 16 से 24 पश्चिमी विक्षोभ की घटनाएं होती हैं।
इस बार सर्दी के दौरान देश में सिर्फ तीन तेज पश्चिमी विक्षोभ आए। इनमें से दो जनवरी और एक मार्च में रहा। दिसंबर और फरवरी बिना किसी तेज पश्चिमी विक्षोभ के ही बीत गए। इससे कम बारिश हुई। अप्रैल की बात करें तो इस माह दो से तीन की जगह पांच से छह आए हैं।
एक अन्य पेपर “वेस्टर्न डिस्टर्बेंस-इन इंडियन मीटियोरोलाजिकल पर्सपेक्टिव” की बात करें तो पश्चिमी विक्षोभ से बनने वाले बादलों का सर्दी के मौसम के दौरान अधिकतम तापमान पर भी प्रभाव पड़ता है। लेकिन ये बादल इस बार सर्दी में गायब थे। 2022 की बात करें यो पिछली बार कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण मार्च में तापमान बढ़ गया था। बारिश न होने से हिमाचल सहित कई राज्यों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा था।