हरिपुर मामला : पुलिस केस से बचने को रचा था शादी का ड्रामा, किसी साजिश की शिकार हुई युवती
ewn24news choice of himachal 23 Feb,2024 10:51 pm
सास-ससुर ने अपनाया नहीं, युवक भी छोड़कर भागा
हरिपुर। कांगड़ा जिला के देहरा विधानसभा क्षेत्र की हरिपुर तहसील की झकलेड़ पंचायत के छब्बड़ गांव में 19 वर्षीय युवती ने आत्महत्या कर ली। युवती ने आज सुबह मायके में नए बनाए कमरे में पंखे से दुपट्टे का फंदा लगाकर जान दे दी। युवक के प्यार में पड़ी युवती का ऐसा अंत देखकर रुह कांप जा रही है।
पूरा मामला 19 साल की युवती और 29 साल के युवक के प्रेम से शुरू हुआ। उस वक्त शायद युवती ने भी सोचा न होगा कि इस प्यार का अंत ऐसा होगा। 31 जनवरी के आसपास युवती अचानक लापता हो जाती है।
परिजनों के ढूंढने के बावजूद नहीं मिली तो परिजनों ने एक फरवरी को पुलिस स्टेशन हरिपुर में गुमशुदगी की शिकायत की, लेकिन उसी दिन परिजनों ने युवती को ढूंढ भी लिया।
युवती की माता ने उक्त युवक पर बेटी के शारीरिक शोषण का आरोप लगाया और शिकायत पुलिस स्टेशन हरिपुर में दी।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने युवती का मेडिकल करवाकर 376 आदि धाराओं में मामला दर्ज कर लिया। इससे पहले कि पुलिस मामले में आगे बढ़ पाती दो फरवरी को केस में नया मोड़ आ गया।
जिस युवक पर युवती की मां ने आरोप लगाए थे, उस युवक ने युवती से शादी करने को हामी भर दी।
शादी का कोई प्रोपर तरीका नहीं अपनाया गया, बल्कि नोटरी हस्ताक्षर एफेडेविट बनाया गया। युवक के माता पिता ने कोई अच्छा मुहूर्त देखकर शादी करवाने की बात कही।
इसके बाद युवती के देहरा कोर्ट में बयान हुए। युवती ने बयान में कहा कि युवक ने उसके साथ शादी का फैसला लिया है। अब वह केस वापस लेना चाहते हैं। युवती के बयान के बाद केस बंद हो गया और युवक पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार भी हट गई।
सबको ऐसा लगा कि मियां बीबी राजी हो गए, अब सब ठीक हो गया। लेकिन यह किसी को पता नहीं था कि युवती की परेशानियां दूर नहीं हुई हैं। युवक के माता-पिता ने युवती को बहू के रूप में अपनाने से मना कर दिया।
शादी के बाद भी युवती मायके से विदा न हो सकी और मायके में रही। कुछ दिन बाद युवक शायद किसी दबाव में युवती को मायके से ले गया और अपनी बुआ के घर रहने लगे।
एक दिन युवक बुआ के घर से अचानक गायब हो गया और युवती वहीं पर रही। इसके बाद युवक के रिश्तेदार युवती को मायके छोड़ गए। युवती घर में नहीं छोड़ी, बल्कि बाहर छोड़कर चले गए।
इसके बाद से युवक, युवती का फोन तक नहीं उठा रहा था। न ही उसका कोई अता पता चल रहा था कि कहां है। युवती परेशान हो गई।
19 फरवरी के आसपास परेशान युवती धर्मशाला में एसपी शालिनी अग्निहोत्री के समक्ष पेश हो गई।
युवती ने एसपी को बताया कि युवक कुछ से कहीं लापता है और उसका फोन तक नहीं उठा रहा है। युवक के परिजन भी कुछ नहीं बता रहे हैं। वह बहुत परेशान है और समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करे। मेरी मदद करें।
युवती ने एसपी को एफेडेविट भी दिखाया, लेकिन मात्र उस एफेडेविट को शादी का वैद्य दस्तावेज नहीं माना जा सकता है। एसपी ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत युवती के बयान कोर्ट में दर्ज करवाने का फैसला लिया और इसके बाद आगामी कार्रवाई होनी थी। पर बयान करवाने में कुछ देरी हो गई।
इसके बाद युवती का एक-एक दिन भारी गुजरने लगा। युवक का कोई अता पता नहीं था। शायद युवती को भी आभास हो चुका होगा कि उसके साथ धोखा हुआ है। शादी का मात्र ड्रामा था।
युवती की हिम्मत टूटी और उसे जीवन में अंधेरा दिखा। 23 फरवरी, 2024 की सुबह छब्बड़ की यह बेटी उठी तो जरूर, लेकिन दोबारा कभी न उठ पाने के लिए सो गई।
सुबह करीब आठ बजे युवती ने मायके में कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इस प्रकरण से पहले से दुखी माता-पिता पर दुखों का पहाड़ टूट गया।
युवती की आत्महत्या करने के बाद पुलिस भी एक्शन मोड़ में आ गई। युवती जो चाहती थी कि पुलिस युवक को ढूंढे, वैसे ही हुआ। पुलिस ने आत्महत्या के कुछ घंटों बाद युवक को ढूंढ निकाला, जोकि कहीं छिपा बैठा था। लेकिन युवती दुनिया को अलविदा कह गई थी।
तमाम घटनाक्रम से प्रतीत होता है कि एफेडेविट पर शादी मात्र युवती और उसके परिवार वालों का मुंह बंद करने को रचा ड्रामा था। युवक और युवक के परिवार वालों की मंशा कुछ और ही थी।
नोटरी हस्ताक्षर एफेडेविट का ऐसे कोई फायदा नहीं, इसके आगे भी लीगल औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं, जोकि नहीं की, बल्कि युवक और उसके परिजन युवती से पल्ला छुड़ाते रहे।
युवक गायब हो गया, उसे ढूंढने की जगह युवक के परिजन युवती को घर छोड़ आए। यह अभागी बेटी ने तो मायके से ढंग से विदा हो पाई और न ही ससुराल से सही तरीके से मायके फेरा डाल सकी। युवक युवती को मायके से ले गया, उसे कहीं और रखा। बाद में युवक के परिजन उसे लावारिस की तरह रास्ते में छोड़ आए।
अपने भविष्य को लेकर ख्वाब देखने वाली अभागी बेटी ने दुनिया को अलविदा कहने का ही फैसला ले लिया। अच्छा मुहूर्त तो नहीं आया, लेकिन अभागा दिन जरूर आया। युवती ने शादी का ही तो सपना देखा था। क्या यह इतना बड़ा गुनाह था कि जिसकी यही सजा थी।