लाहौल-स्पीति के नवांग ताशी के रूप में हुई पहचान
काजा। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में स्पीति घाटी के ताबो क्षेत्र के रंगरिक गांव के साढ़े चार साल के बच्चे की पहचान तिब्बती बौद्ध धर्म के निंगमा स्कूल के प्रमुख तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चौथे पुनर्वतार के रूप में की गई है।
दोरजीडक मठ शिमला में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं और हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र के अन्य बौद्ध शिष्यों ने बालक भिक्षु का स्वागत किया और इस दौरान बालक के बौद्ध धर्म के अनुसार बाल काटे गए और वस्त्र धारण करवाए गए।
लाहौल-स्पीति के ताबो में सेरकोंग पब्लिक स्कूल की नर्सरी कक्षा का नन्हा नवांग ताशी राप्टेन औपचारिक रूप से गुरु बन गया है। शिमला के पंथाघाटी में दोरजीडक मठ में अपनी धार्मिक शिक्षा शुरू करेगा।
बौद्ध गुरुओं ने बालक के घर जाकर इसकी पहचान करने के बाद आज शिमला में विधिवत बालक का नाम बदलकर तकलुंग चेतुल रिनपोछे रख दिया है जो दोरजीडक मठ के अनुयायियों का आगामी गुरु होगा।
बालक के दादा छेतन अंगचूक ने बताया कि यह लाहौल-स्पीति, किन्नौर के साथ-साथ देश और दुनिया के बौद्ध अनुयायियों के लिए हर्ष का विषय है। उनके घर में तकलुंग चेतुल रिनपोछे के पुनर्वतार से वह काफी खुश हैं।
वहीं, बौद्ध धर्म के अनुयायी तकलुंग चेतुल रिनपोछे के पुनर्वतार से काफी खुश हैं। पिछले सात साल से लोग इसका इंतजार कर रहे थे जो आज विधिवत रूप से दोरजीडक मठ में संपन्न हो गया है। लोग उनका आशीर्वाद लेने के लिए नेपाल, भूटान, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से आज शिमला पहुंचे है।
नवांग ताशी का जन्म 16 अप्रैल, 2018 को रंगरिक गांव लाहौल-स्पीति में हुआ है, लेकिन अब आगामी शिक्षा शिमला के दोरजीडक मठ पंथाघाटी में होगी क्योंकि बालक की पहचान उच्च बौद्ध भिक्षुओं द्वारा तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चौथे अवतार के रूप में हुई है।
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