शिमला। हिमाचल में पिछली बरसात ने काफी कहर बरपाया था। बरसात में कई घर बाढ़ आदि से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। सड़कें और पुल बह गए थे और कई लोगों की जान गई थी। प्रदेश को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था।
पिछली बरसात से सबक लेते हुए शिमला राज्य सचिवालय में बरसात ने निपटने के प्रबंधों को लेकर आज महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में सभी जिलों के डीसी, सभी विभागों के अधिकारी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईएमडी के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
पिछले साल प्रदेश में आई आपदा को देखते हुए इस बार मानसून से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बताया कि उपकरण के स्टॉक, सैटेलाइट फोन की स्थिति को लेकर चर्चा की गई।
पिछली बार देखा गया था कि डैम में काफी मात्रा में पानी छोड़ना पड़ा था। इसको लेकर चिंता व्यक्त की गई कि पूर्व चेतावनी सिस्टम (Early Warning System) पूरी जगह नहीं है। फैसला लिया कि उच्च अधिकारियों के साथ एक बैठक और होगी। इस बैठक में खासकर डैम से जुड़े अधिकारी शामिल होंगे। उसमें इस मामले में विस्तार से चर्चा होगी।
सभी डीसी को निर्देश दिए गए हैं कि पिछले साल के डैम के पास के जो संवेदनशील एरिया थे, खासकर सिकिंग एरिया वहां जाकर देखें कि वहां के लोगों को इस बार भी मूव करने की जरूरत है या नहीं है। वहीं, हिमाचल में बाहर के मजदूर आते हैं और नदी वाले क्षेत्रों के पास रहना पसंद करते हैं। उसको मालूम नहीं होता कि अचानक बाढ़ आ जाती है, उनको भी सही जगह पर ले जाने का भी निर्णय हुआ।
बैठक में एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया गया कि एनडीआरएफ नूरपुर की छोटी-छोटी टुकड़ी प्रदेश कई स्थानों पर तैनात की जाएंगी। यह टुकड़ियां शिमला, कुल्लू, सिरमौर और चंबा में तैनात होंगी। कांगड़ा और मंडी में पहले से हैं।