शिमला। राजधानी शिमला में स्थित श्री राम मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति को लेकर बवाल हो गया। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गुरुवार को पहली बार शिमला पहुंचे।
शंकराचार्य देशभर में गो हत्या को रोकने और गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में श्री राम मंदिर में भी शंकराचार्य गो ध्वज की स्थापना के लिए पहुंचे थे।
इस दौरान वो पत्रकारों से भी बातचीत करने वाले थे, लेकिन उन्होंने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया और श्री राम मंदिर गए बिना ही लौट गए।
बता दें कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गुरुवार सुबह सबसे पहले शिमला के प्राचीन जाखू मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने गो ध्वज की स्थापना की और इसी दौरान उन्हें श्री राम मंदिर में साईं बाबा की प्रतिमा न हटाने की जानकारी मिली।
इसके बाद उनके स्टाफ ने जाखू मंदिर से ही एक संदेश दिया। इसमें उन्होंने कहा कि मंदिर में साईं की मूर्ति होने की वजह से शंकराचार्य राम मंदिर नहीं गए, उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है।
शंकराचार्य के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगीराज सरकार ने जानकारी दी कि उन्होंने पहले ही श्री राम मंदिर से साईं की मूर्ति हटाने को कहा था, लेकिन नहीं हटाई गई। ऐसे में शंकराचार्य ने जाखू मंदिर से ही गो ध्वज फहराया और वहीं से वापस देहरादून लौट गए।
उनके मीडिया प्रभारी ने कहा कि हिंदू धर्म में पहले ही 33 करोड़ देवी-देवता हैं। ऐसे में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति की मूर्ति (प्रतिमा) का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य देशभर में जहां भी मंदिर में साईं की मूर्ति है, वहां पूजा नहीं करते हैं। इसलिए उन्होंने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है।