धर्मशाला। अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी के दौरान शहीद जवान अक्षय कपूर का सिद्धबाड़ी के बाघनी में पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। माता और पिता ने अपने लाडले को दूल्हे की तरह अंतिम विदाई दी।
अक्षय कपूर के बड़े भाई लक्की कपूर ने अक्षय कपूर की चिता को मुखाग्नि दी। सैन्य अधिकारियों ने शहीद जवान की पार्थिव देह पर लपेटा तिरंगा शहीद के पिता संसार चंद को सौंपा। इससे पहले जब शहीद अक्षय कपूर की पार्थिव देह गांव पहुंची तो माहौल गमगीन हो गया। घर में शहीद की मां, पत्नी, पिता और भाई का रो-रो बुरा हाल था।
धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा, उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे देवेंद्र जग्गी, पूर्व विधायक विशाल नेहरिया और सैन्य अधिकारियों ने शहीद अक्षय कपूर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
बता दें कि अक्षय कपूर अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। 29 वर्षीय जवान अक्षय कपूर कांगड़ा जिला के धर्मशाला के सिद्धबाड़ी के बाघनी के रहने वाले थे। अक्षय कपूर को ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक आया, जिससे उनकी मौत हो गई।
अक्षय कुमार ने साल 2015 में महज 19 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। बचपन से ही अक्षय का सपना देश की सेवा करना था। उनका सपना तो पूरा हुआ, लेकिन अक्षय का ये बलिदान परिवार और गांव के लिए बड़ा सदमा है।
शहीद के पिता संसार चंद ने बताया कि सुबह 10:00 के करीब उन्हें बटालियन से फोन आया और यह कहा कि आपका बेटा अस्वस्थ हुआ है अस्पताल लेकर जा रहे हैं। थोड़ी देर में बाद ही अगला फोन फिर आया और कहा कि आपका बेटा इस दुनिया में अब नहीं है। अक्षय कुमार के शहीद होने की खबर जैसे ही फोन पर आई उनकी मां बेहोश होकर जमीन पर गिर गई और पिता को भी गहरा सदमा लगा।
शहीद अक्षय की दो महीने पहले 7 अक्टूबर को शादी हुई थी। आंखों में नमी लिए भारी मन से शहीद के पिता ने कहा कि इतनी खुशी के बाद इतना बड़ा गम हमारा इंतजार कर रहा था। शादी के बाद अक्षय अपनी पत्नी के साथ नए जीवन की शुरुआत करने की तैयारी की ही थी, लेकिन किस्मत ने कुछ और ही तय कर रखा था।
संसार चंद ने बताया कि अक्षय का सपना था कि वह पहले अपना मकान बनाएगा फिर शादी करेगा लेकिन उन्होंने ज़िद कर मकान का आधा हिस्सा तैयार कर अपने लाडले की इसी मकान में शादी कर दी। शादी के तुरंत बाद बेटे ने कहा कि अधूरे मकान को पूरा करने के लिए ईंट, बजरी, सरिया सभी चीज इकट्ठी मंगवा कर रख कर जा रहा हूं बहुत जल्द इस अधूरे मकान को पूरा करूंगा।
मां सावित्री देवी ने बताया कि नौकरी को जाते वक्त पैर छूते हुए कहा कि मां बहू लाकर तेरा एक सपना पूरा कर दिया बहुत जल्द अधूरा मकान पूरा करके दूसरा सपना भी साकार करूंगा। उस मां की निगाहें अब अपने बेटे को ढूंढ रही हैं।
सुबह का खाना बनाते-बनाते पत्नी रिया ने अक्षय से बात की थी और सभी का हाल-चाल पूछा। उस अभागी को क्या पता था कि यह उसकी अपने पति से आखरी बात हो रही हो। रिया उस समय मायके में थी। उसको ससुराल वालों की तरफ से यह कहकर बुलाना पड़ा कि घर में ससुर बीमार हैं।
वह दौड़ते हुए ससुराल पहुंची तो पता चला सभी परिवार वाले और गांव वाले घर में इकट्ठा हैं। सास ने बहू को गले लगाते हुए बताया कि उसका पति अब इस दुनिया में नहीं रहा। यह सुनकर रिया के पैरों तले जमीन खिसक गई।