मंडी। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। यहां के देवी-देवताओं के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। हर शुभ कार्य लोग देवी-देवताओं से आज्ञा लेकर करते हैं, वहीं संतान न होने पर देवी देवताओं की शरण में जाकर मनोकामनाएं मांगते हैं।
कहते हैं कि देवी-देवता भी भक्तों की खाली झोली भरते हैं। मन्नत पूरी होने पर लोग भी देवी-देवताओं को भोज के लिए बुलाते हैं।
ऐसे ही एक भक्त ने विवाह के 18 साल बाद संतान प्राप्त होने की खुशी में मंडी जिला के द्रंग के मसेरन गांव की मां चामुंडा भगवती को धाम पर अपने घर बुलाया। आराध्या देवी मां चामुंडा भगवती अपने भक्त के बुलावे पर चैलचौक के लिए भोज के लिए रवाना हुई।
माता के गुरु व पुजारी ने बताया कि दूरदराज से लोग अपनी मनौती के लिए मंदिर पहुंचते हैं और मां भी उनकी मनोकामना पूरी करती हैं।
एक भक्त के विवाह के 18 साल बाद संतान हुई है और माता को भक्तों ने अपने घर बुलाया है। उन्होंने बताया कि चामुंडा मां का मंदिर 1527 ईस्वी में राजा ने बनवाया था। हल चलाते वक्त मां की मूर्ति एक किसान को मिली थी और वो मूर्ति मां की छड़ी में आज भी है।