आठ राज्यों के विकास का किस्सा, पीएम मोदी का एक्शन, समझौते बने संजीवनी
ewn24news choice of himachal 20 Apr,2024 12:30 pm
पूर्वोत्तर के विकास को मिली रफ्तार
नई दिल्ली। दिल्ली भारत की राजधानी है और सियासत का केंद्र बिंदु भी है। देश के विकास के लिए नई दिल्ली से योजनाओं का खाका तैयार होता है। कई बार ऐसा भी होता था कि दिल्ली में बनी योजनाएं कुछ राज्यों के लोगों तक पहुंच नहीं पाती थीं।
इसे संबंधित क्षेत्रों जिन क्षेत्रों के लोगों तक योजनाएं पहुंच नहीं पाती थी कि भौगोलिक स्थिति कह लें या फिर अनदेखी। क्योंकि भारत की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं।
ऐसा ही कुछ हाल पूर्वोत्तर का था। ऐसा कहा जाता है कि इन राज्यों के लिए दिल्ली में योजनाएं बनती तो थीं पर वहां गरीबों तक पहुंचती नहीं थीं। 10 साल पहले तक इन राज्यों में कई ऐसे गांव थे, जहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं थीं।
दिल्ली से अधिक दूरी कारण मानी जाती थी। अधिकारियों के पास भी यह फिक्स जवाब होता था। यहां दिलचस्प बात यह है कि जब पीएम नरेंद्र मोदी ने यह जवाब सुना तो उन्होंने खुद मोर्चा संभाल लिया।
जब भी असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम की फाइल पीएम नरेंद्र मोदी के टेबल पर पहुंचती है, वो यही पूछते हैं कि ये इलाका विकास से इतना महरूम क्यों हैं। जब अधिकारी टालमटोल करते हैं, तो खुद मोर्चा संभाल लेते हैं।
उन्होंने 10 साल के कार्यकाल में 70 बार इन राज्यों का दौरा किया। अमित शाह को इन राज्यों में शांति-व्यवस्था कायम रखने का जिम्मा सौंपा। पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में कई बड़े समझौते करवाकर इन राज्यों की दशा बदलने का कार्य किया गया।
जनवरी 2020 में त्रिपुरा, मिजोरम, केंद्र सरकार और ब्रू समुदाय से जुड़े प्रतिनिधियों के बीच समझौता हुआ। समझौते के तहत उन्हें त्रिपुरा में ही बसाने का निर्णय लिया गया।
इसके लिए इन्हें हर जरूरी सुविधाएं सरकार की तरफ से मिलने की बात कही गई। असम के कार्बी आंगलोंग में सालों से अलग क्षेत्र की मांग उठ रही थी, जिसे लेकर शाह ने कई दौर की बातचीत के बाद समझौता करवाया, सैकड़ों लोगों ने सरेंडर किया और विकास के रास्ते खुले।
केंद्र सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा के अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले गुट के बीच शांति समझौता हुआ है। यह समझौता अपने आप में ऐतिहासिक बताया जा रहा है।
उल्फा की हिंसाओं में 10 हजार लोग मारे गए हैं और अब इसके नेताओं ने संगठन भंग करने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति जताई।
यही नहीं असम और मेघालय ने मंगलवार को 12 में से छह स्थानों पर अपने पांच दशक पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे पूर्वोत्तर के लिए “ऐतिहासिक दिन” करार दिया।
माना जाता है कि ये वो समझौते हैं, जिनकी वजह से पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों का विकास तेजी से होगा। अगर ये पहले होते तो शायद नॉर्थ ईस्ट की रफ्तार भी उतनी ही तेज होती, जितनी बाकी राज्यों के विकास की है।
बीते 10 साल में इन इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा है। पूर्वोत्तर के कई हिस्से पहली बार रेल सेवा से जुड़े। आजादी के 67 साल बाद मेघालय भारत के रेल नेटवर्क पर आया। नागालैंड को 100 साल बाद अब अपना दूसरा रेलवे स्टेशन मिला।
पहली मालगाड़ी मणिपुर के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पहुंची। पूर्वोत्तर को अपनी पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन मिल गई। सिक्किम को पहला हवाई अड्डा मिल गया। उड़ान योजना के तहत हवाई अड्डों की संख्या 9 से बढ़कर 17 हो गई है। 2014 से पहले पूर्वोत्तर में केवल एक राष्ट्रीय जलमार्ग था, अब 5 जलमार्ग चालू हैं।
आपके इलाके में कितना बदलाव आया या आप सरकार से क्या चाहते हैं, कमेंट में जरूर बताएं, ताकि पूर्वोत्तर के राज्यों की तरह आपके इलाके की भी परेशानी दूर हो सके।