शारदीय नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। यह मां दुर्गा का रौद्ध रूप भी है जिसका वर्ण काला है इसलिए इन्हें मां काली या कालिका के नाम से भी जाना जाता है। माता का यह रूप अत्यंत भयंकर है परंतु भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फलदायी है।
माना जाता है कि मां काली की पूजा करने से व्यक्ति का सभी प्रकार का भय खत्म होता है। माना जाता है कि माता कालरात्रि की आराधना से साधक को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। तंत्र मंत्र के साधकों में मां कालरात्रि की पूजा विशेष रूप से प्रचलित है।
यही कारण है कि मां कालरात्रि की पूजा मध्य रात्रि में करने का विधान है। साथ ही यह भी माना गया है कि मां काली की पूजा से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। क्योंकि मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं इसलिए हिंदू धर्म में उन्हें वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है।
मां कालरात्रि की कथा पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नाम के राक्षसों ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। इन राक्षसों को हाहाकर से परेशान होकर सभी देवतागण शिवजी के पास गए और उनसे इस समस्या से बचने का कोई उपाय मांगने लगे। तब भगवान शिव ने माता पार्वती से इन राक्षसों का वध करने के लिए कहा।
तब माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। लेकिन जब रक्तबीज के वध की बारी आई तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों की संख्या में रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए। क्योंकि रक्तबीज को यह वरदान मिला था कि यदि उनके रक्त की बूंद धरती पर गिरती है तो उसके जैसा एक और दानव उत्पन्न हो जाएगा।
ऐसे में दुर्गा ने अपने तेज से देवी कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और मां कालरात्रि ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह रक्तबीज का अंत हुआ।
देवी पार्वती के कालरात्रि रूप की पूजा करने के लिए सुबह और रात्रि दोनों का समय शुभ माना जाता है।
इस रूप में मां की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करके लाल कंबल के आसन पर बैठें।
मां कालरात्रि की तस्वीर स्थापित करें, वहां गंगाजल का छिड़काव करें।
इसके बाद दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ मां के जयकारे लगाएं।
दुर्गा चालीसा का पाठ करें, हवन करें और मां कालरात्रि को गुड़ से बनाएं मालपुए का भोग जरूर लगाएं।
आप चाहे तो रुद्राक्ष की माला से मां के मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
मां कालरात्रि की पूजा के दिन लाल चंदन की माला से इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मुरादें पूरी होती हैं साथ ही जीवन में आ रहे कष्टों से भी मुक्ति मिलती है ...
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥