Breaking News

  • मोहाली की कंपनी में नौकरी का मौका : ITI मंडी में 24 को इंटरव्यू
  • हिमाचल : इस दिन सक्रिय होगा पश्चिमी विक्षोभ, पूरे प्रदेश में बिगड़ सकता है मौसम
  • अंबेडकर राष्ट्र की धरोहर, अपमान हरगिज नहीं करेंगे बर्दाश्त : चमन राही
  • कांगड़ा : सिक्योरिटी गार्ड व सुपरवाइजर के 200 पदों पर भर्ती, 20 हजार तक सैलरी
  • हिमाचल युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव चुने गए मनीष भगनाल
  • शीतकालीन सत्र : दूसरी बार विपक्ष का वाकआउट, सदन में नारेबाजी करते आए बाहर
  • बिलासपुर : बिना परमिट पिकअप में ले जा रहा था बरगद की लकड़ी, पुलिस ने पकड़ा
  • धर्मशाला : जल शक्ति विभाग आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर मुकेश अग्निहोत्री ने कही बड़ी बात-जानें
  • हिमाचल में 1865 संस्थान डिनोटिफाई, विपक्ष का हंगामा-किया वाकआउट
  • धर्मशाला : जयराम ठाकुर को वक्त देने पर जगत सिंह नेगी ने उठाया सवाल-हंगामा

आरक्षण का कोई मतलब नहीं, कोई प्रासंगिकता नहीं

ewn24news choice of himachal 14 Jun,2023 2:40 pm

    आरक्षण की प्रथा आजादी के बाद से संवैधानिक परंपरा की छाया में चल रही है। इस तरह का प्रयास समाज के दबे-कुचले तबके के लिए न्याय के सिद्धांत पर शुरू हुआ, जिस तबके को जाति और पंथ के साए में कुचला जाना माना जाता है।

    यह उन दिनों की कहानी थी जहां एक विशेष स्थान की जाति व्यवस्था बहुत बंद थी और इस प्रकार निचली जातियों में आने वाले लोगों के उत्पीड़न का प्रतिनिधित्व करती थी। भारत की स्वतंत्रता ने संवैधानिक अधिकारों के नाम पर वैमनस्य की प्रथा को सद्भाव में बदल दिया।

    माननीय नेताओं के निर्देशों के अनुसार एक विशेष अवधि के उन्नयन के संदर्भ में वित्तीय सहायता के माध्यम से संसाधनों, नौकरियों और शैक्षिक अवसरों के वितरण के मामले में निचली जातियों को कुछ विशेष प्रकार की वरीयता दी गई थी।

    समाज के दबे-कुचले तबके के उत्थान के लिए प्रतिबद्धता का वह दौर खत्म हो गया है और कुछ वर्षों से इस तरह की तरजीह सरकार की व्यवस्था में नर्क है जो उन लोगों के लिए अभिशाप की भूमिका निभा रही है जिनकी योग्यता को चुनौती दी जा रही है। इस प्रकार समाज के पात्र वर्गों को नीचे घसीटा जा रहा है जिससे उनके लिए दरिद्रता की स्थिति निर्मित हो रही है।

    आरक्षण की यह प्रथा मेधावी वर्ग के लिए दरिद्रता की स्थिति ही नहीं है, बल्कि हमारी सामाजिक व्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है, जिसका पालन-पोषण अक्षम कार्यकर्ताओं/अधिकारियों/प्रशासकों और राजनेताओं द्वारा किया जा रहा है। सामाजिक प्रणाली किसी भी नौकरी के अवसर के लिए उम्मीदवारों के चयन की मांग उनकी क्षमता और योग्यता के अनुसार करती है।

    आप इस तथ्य से सहमत हों या न हों लेकिन यह कटु सत्य है कि यदि किसी संगठन में कोई अयोग्य उम्मीदवार इस आरक्षण नीति के आधार पर पद धारण करता है तो वह संगठन वर्षों तक सामाजिक विकास की दृष्टि से पीछे रह जाता है।

    कुछ लोगों के लिए यह बेतुका संदेश लग सकता है या एक तरह का भ्रम लेकिन आरक्षण की इस घिसी-पिटी नीति और प्रक्रिया का गहरा प्रभाव आप हर जगह देख सकते हैं। आधुनिक युग प्रतिस्पर्धा का युग है जहां किसी भी प्रकार के आरक्षण के लिए कोई स्थान नहीं है। जय हिंद जय भारत ।

    -डॉ रोशन लाल शर्मा, कियारा चांदपुर, सदर बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)

     

    हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय शोध पात्रता परीक्षा का शेड्यूल जारी-यहां देखें

     


    HPbose : SOS 8वीं, 10वीं और 12वीं अनुपूरक परीक्षा के लिए पंजीकरण तिथियां घोषित

     



     
    हिमाचल कैबिनेट बैठक की तिथि में बदलाव, अब रविवार नहीं इस दिन होगी

     


    बॉलीवुड में छाने को तैयार हंसराज रघुवंशी, अक्षय कुमार की OMG-2 में गाएंगे गाना



     
    TET को लेकर बड़ी अपडेट : पेपर के बाद दी जाएगी OMR की डुप्लीकेट कॉपी


    बिलासपुर के सौग में देवर ने भाभी पर दराट से किया हमला, गई जान


    हिमाचल और देश दुनिया से जुड़ी हर बड़ी अपडेट के लिए जुड़ें EWN24 NEWS की वेबसाइट https://ewn24.in/ फेसबुक https://www.facebook.com/ewn24 और यूट्यूब https://www.youtube.com/@ewn24news/videos के साथ

Himachal Latest

Live video

Jobs/Career

Trending News

  • Crime

  • Accident

  • Politics

  • Education

  • Exam

  • Weather