रेखा चंदेल/झंडूता। एक तरफ तो हिमाचल सरकार प्रदेश को पर्यटन राज्य बनाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती है दूसरी तरफ फोरलेन पर बने टोल टैक्स बैरियर्स पर पर्यटकों को पेश आ रही परेशानी को लेकर सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है।
फोरलेन बन जाने से बेशक हिमाचल प्रदेश सरकार का पर्यटन को बढ़ाने का सपना एक हद तक पूरा हुआ है। पंजाब , दिल्ली , हरियाणा और दूसरे राज्यों में गर्मियों की छुट्टियां होने के कारण आजकल हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों की आमद में उम्मीद से ज्यादा इजाफा हुआ है।
खासकर सप्ताह के अंतिम दिनों शनिवार और रविवार की तो यह संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन किरतपुर मंडी फोरलेन पर घुमारवीं के नजदीक डैहर (बलोह) में बने टोल टैक्स बैरियर पर पर्यटकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
10 से 20 मिनट तक लोगों को इस गर्मी के मौसम में टोल टैक्स बैरियर पर अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ रहा है। जबकि केंद्र सरकार द्वारा यह भी बात की जाती है कि अगर एक मिनट से अधिक टोल टैक्स बैरियर पर लगता है तो गाड़ी का टैक्स नहीं लिया जाएगा, लेकिन यहां पर देखने और सुनने में कुछ और ही आया है।
दिल्ली , हरियाणा ,पंजाब और दूसरे राज्यों से आए पर्यटक टैक्स काटने की इस धीमी गति से बहुत खफा दिखे। बात भी सही है जब टैक्स फ़ास्ट टैग से कटना है तो इतनी देर क्यूं।
अगर गाड़ियों की संख्या पर्यटक सीजन होने के कारण अधिक है तो सरकार को वैकल्पिक या अतिरिक्त व्यवस्था करनी चाहिए ताकि राज्य सरकार पर्यटकों को एक अच्छा अनुभव दे सके अन्यथा यह अव्यवस्था कहीं न कहीं राज्य के पर्यटन व्यवसाय पर बुरा असर डाल सकती है जो राज्य की आर्थिक सेहत के हित में नहीं है।