ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल प्रदेश सरकार के सहयोग से क्रैक एकेडमी ने जिले में 'मेरे शहर के 100 रत्न' स्कॉलरशिप प्रोग्राम की शुरुआत की है। इस पहल के तहत प्रदेशभर के 6800 छात्रों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की मुफ्त कोचिंग दी जाएगी। बुधवार को नूरपुर पहुंची क्रैक एकेडमी की टीम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिला कांगड़ा में स्कॉलरशिप प्रोग्राम लॉन्च करने की घोषणा की। इस योजना के तहत क्रैक एकेडमी हर विधानसभा क्षेत्र से 100 मेधावी छात्रों को मुफ्त कोचिंग देगी। इस पूरी योजना में लगभग 34 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
क्रैक एकेडमी के अनुसार चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र के स्कूलों और कॉलेजों में परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसमें कक्षा 6 और उससे ऊपर के छात्र भाग ले सकेंगे। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से टॉप 100 छात्रों को मुफ्त कोचिंग मिलेगी, जबकि अगले 200 छात्रों को 75 फीसदी और उसके बाद के 500 छात्रों को 50 फीसदी की छूट दी जाएगी। क्रैक एकेडमी इन छात्रों को उनके लक्ष्य प्राप्त करने तक मार्गदर्शन देगी। राज्य सरकार इस योजना को सफल बनाने में क्रैक एकेडमी को पूरा सहयोग देगी। एकेडमी टेस्ट पेपर तैयार करेगी, जबकि परीक्षा की निगरानी शिक्षा विभाग करेगा।
छात्रों और अभिभावकों को जागरूक करने के लिए एक बड़े प्रचार अभियान की भी शुरुआत की गई। इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट सबसे पहले कांगड़ा जिले की ज्वालामुखी विधानसभा में लागू किया गया था, जहां 50 स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया। फिलहाल, ज्वालामुखी के 220 चयनित छात्रों को इस योजना के तहत मेरिट-आधारित कोचिंग मिल रही है।
स्कॉलरशिप प्रोग्राम के लॉन्च के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया था कि यह योजना मेधावी छात्रों को लाभ पहुंचाएगी और प्रदेश में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी। क्रैक एकेडमी 90 से अधिक कोचिंग सेंटर स्थापित करेगी, जिससे 5,000 लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा और अन्य अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी बनेंगे।
क्रैक एकेडमी शिमला के रिज पर स्थित पुस्तकालय के नवीनीकरण और रखरखाव पर 1.5 करोड़ रुपये खर्च करेगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस इमारत की ऐतिहासिक विरासत को बनाए रखते हुए इसे आधुनिक तकनीक से लैस किया जाए, जिससे छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। स्कॉलरशिप प्रोग्राम के अलावा एकेडमी राज्य की देखरेख में रह रहे 4,500 अनाथ बच्चों को भी सहयोग दे रही है।
यह संस्था हर साल इन बच्चों को कई कोर्स करने का मौका देती है, जब तक वे अपने करियर के लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते। इस पहल का मकसद बच्चों को लगातार शिक्षा और मार्गदर्शन देना है, जिससे वे अच्छी पढ़ाई कर सकें और अपने भविष्य को मजबूत बना सकें।