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हिमाचल को बलजीत पर गर्व : कैप्टन क्लॉउडी व मिंगमा दोरची का भी बड़ा योगदान

    पायनियर एडवेंचर ने बताई रेस्क्यू की पूरी कहानी

    शिमला। हिमाचल की बेटी बलजीत कौर पर सबको गर्व है। अपने हौसले से मौत को भी मात दे दी। वहीं, कैलाश हेलीकॉप्टर सर्विसेज के कैप्टन क्लॉउडी मार्टिन व मिंगमा दोरची के योगदान को भी नहीं भूला जा सकता है। एक सफल रेस्क्यू कर पहाड़ की बेटी को सकुशल लाने के लिए हिमाचल सहित पूरे भारतवासी उनके कर्जदार रहेंगे।
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    पायनियर एडवेंचर ने बलजीत कौर के सफल बचाव में योगदान देने वाले सभी लोगों का धन्यवाद किया है। कहा कि कैलाश हेलीकॉप्टर सर्विसेज के कैप्टन क्लॉउडी मार्टिन के विशेष ऋणी हैं, जिनकी साहसी और कुशल उच्च ऊंचाई वाली हेलीकॉप्टर उड़ान ने बचाव को संभव बनाया। निदेशक, मिंगमा दोरची द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को भी सलाम है, जो खोज में कैप्टन क्लाउडी के साथ थे और बलजीत का पता लगाने में मदद की।
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    रेस्क्यू आसान न था। बलजीत कौर के साथ संचार मुश्किल था, और यह भी पता नहीं था कि वह किस स्थिति में थी। हालांकि, पायनियर अपने गार्मिन जीपीएस डिवाइस के माध्यम से उससे संपर्क करने में सक्षम थी। बचाव के लिए बलजीत कौर के साथ समन्वय कर पाए। बलजीत ने शिखर के ठीक नीचे और शिखर शिविर के ऊपर, 7600 मीटर की ऊंचाई पर उल्लेखनीय संसाधन कुशलता और साहस का प्रदर्शन किया।
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    गौतरलब है कि अन्नापूर्णा दुनिया की 10वीं सबसे ऊंची चोटी है और बलजीत कौर ने इसे बिना ऑक्सीजन के फतेह किया था। वह कैंप से वापस लौट रही थी और इस दौरान लापता हो गई थीं। बलजीत को  काठमांडू के अस्पताल में ले जाया गया है जहां उनकी मेडिकल जांच की जा रही है।

    बलजीत कौर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की कंडाघाट के गांव पंजरोल की रहने वाली हैं। उनके पिता अमरीक सिंह हिमाचल पथ परिवहन में बस ड्राइवर रहे हैं और उनकी मां शांति देवी गृहिणी हैं।
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    बलजीत के कुल तीन भाई बहन हैं। बलजीत कौर ने एनसीसी में शामिल होने के बाद पहाड़ों की चढ़ाई शुरू की थी। 20 साल की उम्र में उन्हें माउंट देव टिब्बा के एनसीसी अभियान के लिए चुना गया था। बलजीत कौर केवल 27 साल में 8,000 मीटर की ऊंचाई पर चढ़ने वाली पहली महिला पर्वतारोही हैं। उन्होंने इतने कम समय में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर यह रिकार्ड अपने नाम किया है।


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