हिमाचल : हड़ताल पर डटे कर्मियों पर सरकार की सख्त कार्रवाई, 167 जेई की सेवाएं समाप्त
ewn24news choice of himachal 19 Oct,2023 9:44 pm
जिला परिषद कर्मियों की हड़ताल से प्रभावित हो रहे विकास कार्य
शिमला। पंचायती राज विभाग में विलय और छठे वेतन आयोग की मांग को लेकर हड़ताल पर डटे हिमाचल जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों पर सरकार ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार ने वीरवार को हड़ताल पर डटे 167 कनिष्ठ अभियंताओं (जेई) की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
इस कार्रवाई पर सरकार की तरफ से ये तर्क दिया गया है कि कनिष्ठ अभियंताओं के हड़ताल पर होने से पंचायतों में मनरेगा का भुगतान नहीं हो पा रहा और आपदा राहत एवं पुनर्वास कार्य प्रभावित हो रहा है।
कार्रवाई को लेकर जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और सभी जिलों के अतिरिक्त जिला उपायुक्तों को पत्र भी जारी कर दिए गए हैं।
इसी के साथ सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त 164 तकनीकी लोगों को आउटसोर्स के आधार पर एक साल के लिए सेवाओं पर रखने का फैसला लिया है। दरअसल, जिला परिषद कैडर कर्मियों की हड़ताल से प्रदेश की 3615 पंचायतों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
इससे पहले 30 सितंबर से हड़ताल जिला परिषद कैडर कर्मचारियों की पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह के साथ बैठक भी हुई थी जो बेनतीजा रही।
इसके बाद पंचायती राज मंत्री ने इस आपदा की घड़ी में जिला परिषद कैडर से हड़ताल समाप्त करने की अपील करते हुए कहा था कि वे सरकार को कठोर कदम उठाने पर मजबूर न करें। सरकार ने हड़ताली कर्मियों को नोटिस भी जारी किए थे लेकिन वे काम पर नहीं लौटे।
इसके बाद पंचायतीराज विभाग ने जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से 18 अक्तूबर तक हड़ताली कर्मियों का विवरण मांगा था और वीरवार से उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
बता दें कि पंचायतीराज विभाग में विलय की मांग को लेकर 30 सितंबर से प्रदेश के 88 विकास खंडों में सेवाएं दे रहे में करीब 4,700 कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कर्मचारी शिमला में प्रदेश सचिवालय के बाहर भी मांग मनवाने के लिए प्रदर्शन भी कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों के विरोध पर कहा था कि यह हड़ताल का सही समय नहीं है। कर्मचारियों को समझाना चाहिए कि प्रदेश आपदा से जूझ रहा है।
सरकार गंभीर है और समय आने पर उनकी मांगों को पूरा कर लिया जाएगा। इस तरह से दबाव डाल कर समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। अब हड़ताल छोड़कर कर्मचारियों को काम पर लौटना चाहिए।