शिमला। हिमाचल प्रदेश के जंगल आग की लपटों से धधक रहे हैं। प्रदेश के शिमला, सोलन, बिलासपुर, मंडी सहित अन्य इलाकों में बीते कई दिनों से जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। वहीं, जंगल की आग कई रिहायशी इलाकों तक भी पहुंच गई है। बिलासपुर और हमीरपुर में आग के तांडव से दो लोगों को जान तक गंवानी पड़ी है।
इस तबाही के पीछे का मुख्य कारण है इंसान। जी हां, इंसान ही अपने लालच के लिए जंगलों को आग लगा रहे हैं। बरसात सीजन में पशुओं के लिए हरी घास के लालच में इंसान जंगलों में आग लगा रहे हैं।
वहीं, जंगलों के साथ घासनी में भी ग्रामीण इलाकों में लोग आग लगा रहे हैं और यह आग बाद में बेकाबू होकर जंगलों तक पहुंच जाती है जिससे करोड़ों की वन संपदा जलने के साथ पर्यावरण भी दूषित हो रहा है। प्रदेश में ज्यादातर चीड़ के जंगलों में आग लग रही है।
प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट राजीव कुमार ने बताया कि इस सीजन में आग की घटनाएं 1100 तक पहुंच चुकी हैं। शुरुआती अनुमान के अनुसार, इससे तीन करोड़ से अधिक का नुकसान वनों संपदा का हुआ है। आग से 10 हजार हेक्टेयर वनभूमि प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा कि विभाग ने आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए तैयारी की है, लेकिन इस बार तापमान सामान्य से ज्यादा है जिस वजह से जंगलों में अधिक आग की घटनाएं पेश आ रही हैं।
हालांकि, तीन दिन से आगजनी की घटनाओं में कमी आई है और मौसम विभाग ने अब बारिश का अनुमान भी जताया है, जिससे तापमान में कमी के साथ आग की घटनाओं में भी कमी आने की उम्मीद है।