वहीं, राज्य हेरिटेज एडवाइजरी कमेटी भी करेगी टाउन हॉल का दौरा करेगी और आगामी सुनवाई में फैक्ट्स को लेकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी।
एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने मामले को लेकर बताया कि पहले जनहित याचिका दायर हुई थी। उसमें कहा गया था कि टाउन हॉल का ऑफिस के लिए प्रयोग न हो और इसका यूज जनहित में किया जाए।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि यहां हाई एंड कैफे, बुटिक आदि होना चाहिए। इसको ध्यान में रखकर शिमला नगर निगम ने टाउन हॉल के ग्राउंड फ्लोर में एक कैफे खोला था। कोर्ट के आज के फैसले के अनुसार यह कैफे हाई एंड कैफे न होकर मात्र फूड कोर्ट है। फैसले में कहा कि हाई एंड कैफे का अर्थ बहुत महंगी जगह होता है।
उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान मैंने कोर्ट में दलिल दी थी कि शिमला के हिसाब से यह कैफे हाई एंड कैफे (High End Cafe) की श्रेणी में आता है। अगर वाइल्ड फ्लावर हॉल और सिसिल की तर्ज पर बहुत हाई एंड कैफे खोला जाए तो शिमला की अधिकतर जनता इसका लाभ नहीं ले पाएगी। अधिकतर जनता कैफे में बैठने और कॉफी पीने से वंचित रह जाएगी। कोर्ट ने उनकी दलिलों को अस्वीकार कर दिया।
कहा कि यह मात्र फूड कोर्ट है। आदेशों में अगली तारीख तक फूड कोर्ट पर रोक लगा दी है। साथ ही कहा है कि हेरिटेज एडवाइजरी कमेटी टाउन हॉल का दौरा करेगी और आदेशों में दिए तथ्य को देखेंगी। इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करेगी।
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