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पौष महीने की पहली एकादशी 19 को, भगवान विष्णु-मां लक्ष्मी के साथ करें तुलसी पूजा

ewn24news choice of himachal 18 Dec,2022 12:58 am

    सोमवार (19 दिसंबर) को पौष महीने की पहली एकादशी है। इसे सफला एकादशी कहा जाता है। कृष्ण पक्ष में आने वाली इस एकादशी का जिक्र महाभारत, पद्म, विष्णु और स्कंद पुराण में हुआ है। इस व्रत में भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए, साथ ही तुलसी पूजा करने का भी विधान है। ऐसा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है।

    पौष मास की एकादशी होने से इस दिन उगते हुए सूरज की पूजा करने का विधान है। पौष महीने के स्वामी नारायण हैं। ये भगवान विष्णु का ही एक नाम हैइसलिए इस व्रत में नारायण रूप में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

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    एकादशी पर व्रत-उपवास के साथ भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस दिन विष्णु जी की पूजा किसी भी रूप में कर सकते हैं। इनमें शालग्राम पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। दस अवतारों की भी पूजा कर सकते हैं। एकादशी पर तुलसी पूजा करने से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता।
    भगवान विष्णु-लक्ष्मी पूजा विधि

    इस एकादशी पर सुबह और शाम, दोनों समय भगवान विष्णु-लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में पहले देवी लक्ष्मी फिर विष्णु जी का अभिषेक करना चाहिए। शंख में पानी और दूध भरकर अभिषेक करें। इसके बाद पंचामृत और शुद्ध जल से नहलाएं। फिर चंदन, अक्षत और फल-फूल सहित पूजन सामग्री अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं। पूजा के बाद विष्णु जी को तुलसी पत्र जरूर चढ़ाएं।
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    तुलसी-शालिग्राम पूजा विधि

    तुलसी-शालिग्राम को शुद्ध जल चढ़ाएं। फिर चंदन, अक्षत, मौली, वस्त्र, हार-फूल सहित अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप दर्शन करवाएं। मौसमी फल और मिठाई का नैवेद्य लगाएं। इसके बाद प्रणाम करें।

    सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले तुलसी के पौधे में जल चढ़ाकर प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद गमले के पास घी का दीपक लगाएं फिर परिक्रमा करें। इस बात का खास ध्यान रखें कि सूर्यास्त होने के बाद तुलसी को न छूएं करें। गमले में तुलसी के पास भगवान शालिग्राम की मूर्ति भी रखनी चाहिए।
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