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आईटी रूल्स में संशोधन मामला-भड़की कांग्रेस, मीडिया पर खतरा दिया करार

पवन खेड़ा ने प्रेसवार्ता में केंद्र सरकार पर साधा निशाना

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार आईटी रूल्स में संशोधन करने जा रही है। पीआईबी फैक्ट चेक द्वारा किसी समाचार या रिपोर्ट को झूठा बेबुनियाद या नकली करार देने पर उसे हटाने की शर्त पर कांग्रेस भड़क गई है। कांग्रेस ने सीधे तौर पर इसे मीडिया की आवाज दबाने वाला फैसला करार दिया है। साथ ही लोकतंत्र को खतरे में बताया है।

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कांग्रेस नए संचार विभाग में मीडिया और प्रचार के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने प्रेसवार्ता में कहा कि बेटियों को लेकर पूरा भारत चिंतित है पर भारत के प्रधानमंत्री चिंतित नहीं हैं। मोदी सरकार चिंता नहीं रहती कि समस्या को खत्म कैसे किया जाए, यह चिंता रहती है कि समस्या को खबर बनने सो कैसे रोका जाए। पहले मुख्य मीडिया पर दबाव बनाने की कोशिश हुई और अब डिजीटल मीडिया पर केंद्र सरकार की कुदृष्टि पड़ गई है। केंद्र सरकार आईटी रूल्स में संशोधन ला रही है। अपनी छवि बचाने और सच को छिपाने की कोशिश हो रही है।

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पवन खेड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने आईटी रूल्स 2021 के संशोधन मसौदे की परामर्श डेट 25 जनवरी तय कर दी है। साथ ही बड़ी चालाकी से दो लाइनें जोड़ दी हैं। यह लाइनें हैं, कोई भी समाचार या रिपोर्ट जिसे पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के फैक्ट चेक यूनि्ट द्वारा झूठा, बेबुनियाद या नकली माना जाएगा उसे सरकार द्वारा सोशल मीडिया, ऑनलाइन वेबसाइट और ओटीटी प्लेटफार्म से हटाया जा सकता है। मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, क्या मेरे हक में फैसला देगा। सरकार खुद जज और खुद ज्यूरी और खुद पर फैसला सुनाएगी।

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उन्होंने कुछ उदाहरण देते हुए पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट पर सवाल उठाए। पीआईबी की फैक्ट चेक (FCU) ने 2020 में लद्दाख में चीन के साथ इनकर्जन की खबर को उसे फेक न्यूज करार दिया। कुछ वक्त बाद रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर वो बात आ गई। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में रेलवे कर्मचारी महासंघ के लोग अपनी बात रख रहे थे कि रेलवे का निजीकरण हो रहा है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर सवाल पूछा कि क्या रेलवे का निजीकरण हो रहा है। पीआईबी ने फेक न्यूज लिख दिया। बच्चों के लिए आधार जरूरी न होने की खबर को फेक न्यूज करार दे दिया। पूछा तो बोले की मंत्रालय ने कहा है। सरकार का एक अंग दूसरे से पूछता है और दूसरा कहता है कि फेक है। उसके बाद नियमों में संशोधन किया गया और बच्चों के लिए आधार की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया। चौथा उदाहरण जोशीमठ का है, जिसमें इसरो को कहा कि आप रिपोर्ट सार्वजनिक मत करें।

 

पवन खेड़ा ने कहा कि यह खतरा मीडिया पर मंडरा रहा है। केंद्र सरकार लोकतंत्र की ऑक्सीजन की नली को काट रही है। सरकार चाहती है कि जितनी जल्दी लोकतंत्र खत्म हो उतना अच्छा। अगर हम अब भी कुछ नहीं करेंगे तो कुछ करने लायक बचेगा नहीं। ऐसा भी हो जाए कि लोकतंत्र चुनाव में ही दिखे। न न्यायपालिका चल सकती है और न मीडिया। इन दोनों के बिना में विपक्ष क्या करेगा। उन्होंने कहा कि आरटीआई को कमजोर करने की चेष्टा की जा रही है।

पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस संसद में जोरशोर से इस मामले को उठाएगी। सरकार को मनमानी नहीं करने दी जाएगी।

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