मंडी। हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी मंडी के पड्डल मैदान में 6 नवंबर के बाद मिनी कुंभ का आयोजन होने जा रहा है जिसमें देशभर के संत और शंकराचार्य महाभाग की उपस्थिति रहेगी। यह अवसर मंडी के लिए ऐतिहासिक बनने जा रहा है और इसका प्रभाव इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा।
पहली बार मंडी में श्रीरामार्चा यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें श्रीराम के नाम से जुड़ी वैदिक विधियों का समर्पण किया जाएगा। श्रीरामार्चा महायज्ञ को संपन्न करने के लिए क्षेत्र के देवी-देवताओं को आमंत्रित करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने प्रथम निमंत्रण सिद्ध गणपति को देकर यज्ञ के निर्विघ्न रूप से संपन्न होने की प्रार्थना की। इसके बाद मंडी रियासत के राजा श्रीराज माधवराय और बाबा भूतनाथ को निमंत्रण पत्र देकर यज्ञ की सफल संपन्नता के लिए आशीर्वाद मांगा गया।
इस महायज्ञ में शामिल होने के लिए 60 से अधिक देवी-देवताओं के मंदिरों में निमंत्रण पत्र पहुंचाए गए हैं, साथ ही महाशिवरात्रि में भाग लेने वाले राज देवी-देवताओं को भी निमंत्रण जारी किया जा रहा है। कुल्लू रियासत के राजा श्री रघुनाथ और श्री श्रृंगा ऋषि को भी निमंत्रण पत्र दिया जा रहा है। इस अवसर पर विशिष्ट वेदलक्षणा देशी गाय की उपस्थिति रहेगी।
महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि इस महायज्ञ में भाग लेने और इसके प्रसाद का कण मात्र ग्रहण करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति और मुक्ति के द्वार खुल जाते हैं। यह आयोजन मानव जीवन के प्रारब्ध को बदलने की शक्ति रखता है। उन्होंने कहा कि राम नाम का स्मरण जीवन को सार्थकता प्रदान करता है, यहां तक कि रावण जैसे राक्षस को भी अंतिम समय में मुक्ति मिली थी।
सतयुग में तप और ध्यान करने, त्रेतायुग में यज्ञ और योग करने, द्वापर में पूजा पाठ कर्मकांड करने और कलयुग में मात्र श्रीराम नाम लेखन जप करने से बराबर पुण्य मिलता है। श्रीराम नाम लेखन जप समस्त प्रकार के दैहिक, दैविक व भौतिक सुखों से श्रीयुक्त करने में सर्वदा प्रभावी तथा आत्मोत्थान का सबसे सुगम साधन है।
विश्व में सभी वर्णाश्रम श्रीराम नाम लेखन जप कर सकते हैं। साफ पुस्तिका में दोनों तरफ लाल स्याही से स्पष्ट अक्षरों में लेखन जप करने के बाद उसे पीले या लाल वस्त्र में बांधकर रखना चाहिए और कार्य पूर्ण होने पर श्रीराम नाम बैंक में जमा करवा देना होता है।