सुप्रीम कोर्ट का समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से इंकार, मौलिक अधिकार नहीं माना
ewn24news choice of himachal 17 Oct,2023 1:48 pm
कहा- इस बारे संसद ही कानून बना सकती है
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 3-2 से फैसला सुनाया। कहा कि समलैंगिक जोड़े के लिए शादी का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। इस बारे में संसद ही कानून बना सकती है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को रद्द नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी राय में संसद को समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले में फैसला करना चाहिए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।
कोर्ट कानून नहीं बना सकता है, उसे लागू करवा सकता है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए केंद्र और पुलिस बलों को कई दिशा-निर्देश भी जारी किए। इस संविधान पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली शामिल थीं।
वहीं, समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने की इजाजत भी सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिल सकी है। हालांकि, चीफ जस्टिस ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा था कि होमो सेक्सुअल को भी गोद लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि यह स्टीरियोटाइप बात है कि हेट्रो बेहतर पैरेंट्स होंगे और होमो नहीं। यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि कौन बेहतर पैरेंट्स हैं कौन नहीं। हेट्रो ही अच्छे और होमो गलत, यह धारणा गलत है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के अन्य जज इससे सहमत नहीं थे।
बता दें कि समलैंगिकों की शादी को मान्यता देने और बच्चा गोद लेने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं ने इसे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड करने की मांग की थी। वहीं, केंद्र सरकार ने इसे भारतीय समाज के खिलाफ बताया था।