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लेखिका बबीता जसवाल का कविता संग्रह 'बाल प्रहर' : बच्चों को दें बचपन की सीख

ewn24 news choice of himachal 27 Jul,2024 12:54 pm


    हमीरपुर। लेखिका बबीता जसवाल का नया कविता संग्रह मार्केट में आ गया है। इसका नाम है बाल प्रहर। बाल प्रहर 56 बाल कविताओं का एक काव्य संग्रह है।

    इनमें से कुछ रचनाएं बच्चों व किशोरों को लक्ष्य प्राप्ति की ओर प्रेरित करने वाली, कुछ समाज के प्रति दायित्व निभाने के लिए तथा कुछ उत्साह बढ़ाने वाली कविताएं हैं। बाल प्रहर की रचनाओं के माध्यम से बचपन, जीवन के अन्य पड़ाव तथा समाज के बीच संवाद की रचना न केवल बच्चों के लिए बल्कि समाज के हर उम्र वर्ग के लोगों के लिए की गई है।

    आज के समय में जब बच्चे फोन और टीवी में कुछ मनारंजन ढूंढते हैं ऐसे में मां-बाप को चाहिए कि बच्चों को इस तरह के काव्य संग्रह पढ़ाएं और अच्छी सीख के साथ उनकी परवरिश करें। बच्चे ही नहीं बड़े भी इन कविताओं से बहुत कुछ सीख सकते हैं। वहीं, कुछ-कुछ कविताएं आपको आपके बचपन में ले जाएंगी।




    हमीरपुर जिला से संबंध रखने वालीं बबीता जसवाल वर्तमान में शिक्षा विभाग हिमाचल प्रदेश के अंतर्गत सोलन जिला में प्राथिमिक शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। ये बाल प्रहर उनका पहला काव्य संग्रह है। इससे पहले उन्होंने एक लघु उपन्यास लिखा था जिसका नाम है "डाला-बोटला"।

    इस लघु उपन्यास में उनके सह लेखक हैं नवीन कुमार खरयाल जो कि कृषि महाविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से कृषि स्नातक तथा सब्जी विज्ञान विभाग से कृषि स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त कर गैर सरकारी कृषि क्षेत्र में फार्म मैनेजर के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं।

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    "डाला-बोटला" अलग-अलग राज्यों की चार स्कूली छात्राओं की पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बाल क्रांति पर आधारित लघु उपन्यास है। 

    उत्तराखंड राज्य के चमोली क्षेत्र के एक आवासीय विद्यालय की एक चौदह तथा तीन सोलह वर्ष की साधारण सी दिखने वाली ये छात्राएं एक बाल क्रांति की परिकल्पना करती हैं और अपनी साधारण इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए दो युवा पत्रकारों तथा एक वयोवृद्धा पर्यावरणविद के साथ मिलकर ग्रामीण पहाड़ी बच्चों की एक टीम बनाकर डाला-बोटला आंदोलन को चिपको आंदोलन के बाद पर्यावरण के लिए देश को सबसे चर्चित क्रांति का रूप देती हैं।

    कुल मिलाकर यह कहानी लेखकों द्वारा चिपको आंदोलन की तरह ही एक बाल क्रांति की आवश्यकता की परिकल्पना है। इस कहानी के माध्यम से लेखकों द्वारा वर्तमान युवा पीढ़ी की पर्यावरण के प्रति जागरुकता, ईमानदार पत्रकारिता की आवश्यकता और पहाड़ी जीवन की जीवटता जैसे विषयों को उकेरने का प्रयास किया गया है।

    इन दोनों पुस्तकों को नोशन प्रेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया गया है तथा यह नोशन प्रेस स्टोर के अतिरिक्त अमेजॉन इंडिया और फ्लिपकार्ट जैसी वेबसाइटों पर भी ऑनलाइन उपलब्ध है I

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