ऋषि महाजन/ नूरपुर। धमड़ी से नूरपुर तो हो गया, लेकिन नूरजहां के नाम से जुड़ा ये शहर दमड़ी से रुपया कब होगा। जी हां कांगड़ा जिला का नूरपुर पुराना और ऐतिहासिक शहर है। कहते हैं कि 1672 में नूरजहां को यह जगह इतनी पसंद आई कि धमड़ी नाम का गांव नूरपुर कहलाने लगा। इसके बाद से नूरपुर शहर आज दिन पर्यटन के नक्शे पर जगह नहीं बना सका है। कई ऐतिहासिक जगह होने के बावजूद नूरपुर पर्यटन में पिछड़ा हुआ है।
नूरपुर शहर के आसपास कई धार्मिक स्थल और हिल स्टेशन हैं। यहां का ऐतिहासिक किला प्लेटों पर बना है। किले के भीतर बृजराज स्वामी और मीरा का भव्य मंदिर है। यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां श्री कृष्ण और मीरा की मूर्तियां एक साथ विराजमान हैं।
नूरपुर के पास नागनी माता मंदिर है, जोकि लोगों की आस्था का प्रतीक है। नूरपुर से 25 किलोमीटर दूर पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे पर त्रिलोकपुर मंदिर है और 40 किलोमीटर दूरी पर मसरूर मंदिर है। इसे रॉक कट टेंपल भी कहा जाता है, यह एक पत्थर से बनाया गया है। 25 किलोमीटर दूर काठगढ़ मंदिर है। यही नहीं डलहौजी और चंबा इसी रास्ते से होकर जाते हैं। 40 किलोमीटर दूरी पर पौंग डैम, बाथू की लड़ी और रैंसर टापू है।
कांगड़ा-चंबा के लोकसभा सांसद और केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति कंसल्टेटिव कमेटी के सदस्य डॉ राजीव भारद्वाज ने कहा कि नूरपुर पुराना और ऐतिहासिक शहर है। आस पास गांव और शहरों का विकास होने से नूरपुर की आभा पर ग्रहण लगा है। नूरपुर में ऐतिहासिक बृजराज स्वामी का मंदिर है। नूरपुर किले का मुद्दा कमेटी की अगली बैठक में उठाया जाएगा। पौंग डैम में केरल की तर्ज पर बैक वॉटर स्पोर्ट्स शुरू करने का मामला भी उठाया जाएगा।