ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल प्रदेश के पूर्व परिवहन मंत्री वजीर केवल सिंह पठानिया (88) का निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार वीरवार को बासा वजीरा के मोक्षधाम में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। बेटे राजीव पठानिया ने चिता को मुखाग्नि दी।
पूर्व परिवहन मंत्री वजीर केवल सिंह पठानिया की अंतिम यात्रा में पूर्व मंत्री राकेश पठानिया, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुदर्शन शर्मा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष करण सिंह पठानिया आदि मौजूद रहे।
केवल सिंह पठानिया के राजनीतिक जीवन की बात करें तो उनका राजनीतिक जीवन संघर्ष और उपलब्धियों से भरा रहा है। उन्हें राजनीति विरासत तो मिली, लेकिन उन्होंने अपनी राह खुद बनाई। कांग्रेस परिवार से जुड़े होने के बावजूद उन्होंने आजाद और अन्य दलों से चुनाव लड़कर अपनी अलग पहचान बनाई। उनका जन्म 29 जून 1938 में हुआ था।
केवल सिंह पठानिया ने 1968 में ब्लॉक समिति के अध्यक्ष के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। इसके बाद 1972 में आजाद उम्मीदवार के रूप में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सत महाजन को हराया। हालांकि, 1977 और 1982 में उन्हें सत महाजन से हार का सामना करना पड़ा। 1985 में वीरभद्र सिंह के कहने पर उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। 1990 में कांग्रेस छोड़कर जनता दल के बैनर तले चुनाव जीतकर सत महाजन को हराया।
1993 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने केवल सिंह पठानिया को ज्वालामुखी से टिकट दी। चुनाव में उन्होंने भाजपा के धनी राम को हराया। उस वक्त कांग्रेस का टिकट केवल सिंह पठानिया को देने पर ज्वालामुखी में विरोध भी हुआ था। इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के कुशल नेतृत्व में पठानिया ने जीत दर्ज की और तत्कालीन वीरभद्र सरकार में परिवहन मंत्री बने।
1998 में उन्हें ज्वालामुखी से आजाद प्रत्याशी रमेश धवाला के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। 2003 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। 2007 में उन्होंने बसपा के झंडे तले चुनाव लड़ा।
केवल सिंह पठानिया, शिरोमणि क्रांतिकारी राम सिंह पठानिया के वंशज थे। उनके निधन से क्षेत्र और प्रदेश की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है।