ऋषि महाजन/गंगथ। कांगड़ा जिला के गंगथ में जय बाबा क्यालू जी महाराज महा दंगल का आयोजन हो रहा है। महा दंगल का मंगलवार को दूसरा दिन है। महा दंगल पांच जून तक चलेगा। इस महा दंगल में पहलवानों को इनाम लोगों के दान से दिए जाते हैं।
इस बार किसी भक्त ने अपनी मन्नत पूरी होने पर ट्रैक्टर दान दिया है, जोकि पांच जून को विजेता पहलवान को दिया जाएगा। साथ ही दान में आईं कार, चरोटी और गागरें भी पहलवानों में बांटी जाएंगी। करीब एक करोड़ रुपए के इनाम पहलवानों के दिए जाएंगे, जोकि दान के माध्यम से प्राप्त हुए हैं।
बता दें कि उपतहसील गंगथ में जय बाबा क्यालू जी महाराज का दिव्य मंदिर स्थित है। सिद्ध पीठ बाबा क्यालू जी महाराज की मान्यता व प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है। बाबा जी के प्रति आस्था व विश्वास रखने वाले भक्तजन दरबार में आकर सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं और बाबा क्यालू जी उनकी समस्त मन्नतों को पूर्ण करते हैं। मन्नत पूरी होने पर अपनी मन्नत के अनुसार दान देते हैं।
जय बाबा क्यालू जी महाराज के अनेक चमत्कार ऐसे हैं, जो लोगों को उनकी शरण में लाते हैं। लोग श्रद्धा भाव से सच्चे मन से बच्चों की शादी, व्यवसाय, नौकरी, संतान प्राप्ति, वाहन प्राप्ति आदि की मन्नतें मांगते हैं।
बाबा जी सभी की मन्नतें पूर्ण करते हैं और लोग उन मन्नतों (सुक्खनों) को चढ़ाने बाबा जी के दरबार में आते हैं, लेकिन कई बार मन्नत पूर्ण होने पर श्रद्धालु मन्नत चढ़ाना भूल जाता है तो उसे याद दिलाने के लिए स्वप्न में आकर या घर में बंद ट्रंक या संदूक में रखे कपड़े में आग लग जाती है, जिससे व्यक्ति को बाबा जी प्रति की गई भूल याद आ जाती है और मन्नत चढ़ाने दरबार में पहुंच जाता है।
मन्नतें चढ़ाने का क्रम लगभग वर्ष भर चलता रहता है। ज्येष्ठ मास के दंगल से पूर्व दो महीने काफी भक्तों में मन्नत चढ़ाने का उत्साह रहता है, जिसमें पीतल की गागरें, चरोटी (बल्टोईयां) व अन्य चीजें बाबा जी की अर्पित करते हैं। इसके साथ ही दूर-दूर तक के किसान रवी की नई फसल को जिसे ओढवा (ओरा) कहते हैं बाबा जी के दरबार में आकर चढ़ाते हैं।
मान्यता के अनुसार जय बाबा क्यालू जी महाराज का गंगथ में आगमन लगभग तीन शताब्दी पूर्व अंड भारत के अफगानिस्तान से हुआ व वट वृक्ष के नीचे अपना धुना रमाया था, जिस वट वृक्ष के नीचे बाबा क्यालू जी का भव्य मंदिर स्थित है। बाबा क्यालू जी की सत्यता और जन रक्षक होने की काफी कथाएं हैं।
कहते हैं कि नागों के राजा गुग्गा पीर का रिश्ता बंगाल के किसी सिद्धनाथ की बेटी से हुआ था। सिद्ध नाथ ने यह शर्त रखी थी कि बारात में कोई भी काले रंग का आदमी न आए। उस समय बारात में सभी सिद्धनाथ सुरगल, पंच पीर, मंडलीक और पीर फकीर शामिल हुए पर बाबा क्यालू जी महाराज और अजिज्यपाल को सांवले रंग होने के कारण बारात में शामिल न किया गया।
इससे बाबा क्यालू जी महाराज काफी क्रोधित हुए। बारात के बंगाल पहुंचने पर बारातियों और घरेतियों (दुल्हन पक्ष) में किसी बात पर विवाद हो गया तथा उन्होंने सारी बारात को नागपाशों में बांध दिया। राजा गुग्गा इस बात को भली भांति जानते थे कि नागपाशों से बाबा क्यालू जी महाराज और अज्जियपाल ही मुक्त करवा सकते हैं।
तभी उन्होंने बंगाल के राजा से प्रार्थना की कि हम एक आदमी को आवश्यक कार्य हेतु घर भेजना चाहते हैं तथा राजा ने उनके एक आदमी को मुक्त करने की बात मान ली। यही व्यक्ति बाबा क्यालू जी महाराज व अज्जियपाल को ढूंढता हुआ गंगथ क्षेत्र में पहुंचा।
राजा बंगाल ने भी उस व्यक्ति के जाने के बाद आशंकित मन होने पर अपने कुछ सैनिक और गुप्तचर भेज दिए थे, ताकि पता लगाया जा सके कि मुक्त किया गया व्यक्ति क्या करता है और कहां जाता है?
उस व्यक्ति पर अग्नि के देवता बाबा क्यालू जी पहले तो काफी क्रोधित हुए फिर विनय क्षमा याचना कर शांत हुए और बंगाल जाने के लिए राजी हुए।
बंगाल के राजा ने जो सैनिक और गुप्तचर भेजे थे, वो सरकंडो की आड़ में छिपे बैठे थे। बाबा क्यालू जी महाराज जब घोड़े पर सवार होकर तेज रफ्तार से वहां से गुजरे तो घोड़े की टापों के पत्थरों से टकराने से निकलने वाली अग्नि से सरकंडो में आग लग गई और वो सभी जो घात लगाकर बैठे थे, झुलस कर मर गए।
वहां पहुंच कर बाबा जी और अज्जियपाल ने बारात को मुक्त करवाया और बाबा क्यालू जी ने नागों के तीन कुलों को नष्ट कर दिया। जब समूल नाश की बारी आई तो नाग कुल के राजा ने अपनी प्रजा सहित बाबा क्यालू जी महाराज से उन पर दया करने बख्शने तथा उनके धरती पर अंश रहने की प्रार्थना की।
बाबा जी ने नागराज की फरियाद को मानते हुए उन्हें बख्शा और कहा कि जहां मेरा स्थान है, उसके इर्द-गिर्द के चारों ओर आपका स्थान होगा। तभी तो गंगथ के साथ लगते चारों और क्षेत्र में नाग, नागनी मंदिर, शिब्बो थान, सुरगल व अन्य दिव्य स्थान हैं।
बाबा क्यालू जी महाराज महा दंगल लेखा जोखा कमेटी प्रबंधन शिव नंदन ने बताया कि मन्नत पूरी होने पर लोग दान देते हैं। लोगों ने जैसे मन्नत मांगी होती है वैसे दान चढ़ाते हैं। किसी भक्त ने दो तीन साल पहले मन्नत पूरी होने पर ट्रैक्टर दान दिया है। ऐसे ही किसी ने कार दान दी है।
बाबा जी के दरबार में बड़ा छोटा दान नहीं देखा जाता है। लोग श्रद्धा के अनुसार दान देते हैं। दान में आई वस्तुएं पहलवानों को दी जाती हैं। पैसा आदि भी पहलवानों पर खर्च किया जाता है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया है कि बाबा क्यालू जी महाराज के दरबार में आएं और मन्नत मांगें, मन्नत पूरी होने पर मन्नत चढ़ाएं।