देहरा। काफी समय से एफआरए (FRA) के मामले ही लंबित पड़े हैं, ऐसे में ग्राम पंचायत स्तर पर बनाई वन अधिकार समितियां आगामी मामले कैसे बनाएं। ऐसे में समितियों का कोई औचित्य नहीं बचता है, अगर लोगों को इसका लाभ ही नहीं मिल पा रहा हो और न ही बैठकों का कोई औचित्य है।
कांगड़ा जिला के देहरा के बचत भवन में 27 मई, 2025 को हुई ग्राम पंचायत स्तर पर बनाई वन अधिकार समितियों की बैठक में यह मुद्दा जोर शोर से उठा।
बता दें कि बचत भवन में आयोजित इस बैठक में एसडीएम देहरा कुलवंत सिंह पोटन, बीडीओ मुकेश ठाकुर, एसईबीपीओ संजीव कुमार, ट्रेनर इंद्र कुमार आदि ने वन अधिकार समितियों के प्रधानों, उपप्रधानों और सचिवों को वन अधिकार के प्रति जागरूक किया। साथ ही समितियों के पदाधिकारियों की समस्याएं भी सुनीं।
वन अधिकार समितियों के पदाधिकारियों का कहना था कि वन क्षेत्र में लोगों के मकान नियमित करने, रास्ते आदि की सुविधा मिल सके इसके लिए मामले बनाकर कमेटियों द्वारा भेजे जाते हैं। कमेटियों का उद्देश्य ही लोगों को वन अधिकारों के प्रति जागरूक करना है, जिनके बारे में काफी लोगों को मालूम नहीं होता है। एफआरए की फाइलें लंबे समय से लंबित पड़ी हैं। वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर स्टे का हवाला देते हुए इन फाइलों को रोक दिया है।
जब पुराने मामले ही लंबित पड़े हैं तो अगले मामले कैसे और क्यों बनाएं। ऐसे में वन अधिकार समितियों की बैठकों का भी कोई औचित्य नहीं बचता है। वन विभाग को इस बारे गौर करना चाहिए।
डीएफओ देहरा सन्नी वर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी माह में एफआरए मामलों पर अस्थाई रूप से स्टे लगाया है। अभी तक स्टे हटा नहीं है। जैसे ही स्टे हटता है मामलों को लेकर आगामी कार्रवाई फिर शुरू कर दी जाएगी।