राकेश चंदेल/बिलासपुर। हिमाचल सरकार द्वारा प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय को एक ही विभाग में विलय किया गया है। , प्राथमिक शिक्षक संघ हिमाचल प्रदेश पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ हेम राज ठाकुर ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
हेम राज ठाकुर ने कहा कि वर्ष 1984 में जब प्रदेश के पास सीमित संसाधन थे, तब भी प्रारंभिक शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए अलग निदेशालय की स्थापना की गई थी। आज जब स्कूलों की संख्या में भारी वृद्धि हो चुकी है और प्री-प्राइमरी कक्षाएं भी प्रारंभिक शिक्षा का हिस्सा बन चुकी हैं, ऐसे में निदेशालय का विलय शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी क्लस्टर प्रणाली के तहत प्राथमिक विद्यालयों के साथ उपेक्षा की गई और उन्हें अपर प्राइमरी क्लस्टरों में मिला वदिया गया। अब अधिकारियों और केंद्रीय मुख्य शिक्षकों की पोस्ट समाप्त करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
ठाकुर ने आरोप लगाया कि प्रदेश में संचालित लगभग 6,200 प्री-प्राइमरी स्कूलों में अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है। कई स्कूलों को एकजुट कर बंद किया जा रहा है। यह दर्शाता है कि सरकार प्राथमिक शिक्षा को प्राथमिकता देने में असफल रही है।
उन्होंने सरकार की अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा की नीति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने बिना तैयारी के प्राथमिक विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू करवा दी है, जिससे कई बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट है कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए।
खेलकूद गतिविधियां भी हुई बंद
प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की खेलकूद प्रतियोगिताएं जहां पिछले वर्ष ब्लॉक स्तर तक सीमित रहीं, वहीं इस वर्ष उन्हें पूरी तरह बंद कर दिया गया है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षा उप निदेशक कार्यालय से प्रमोशन और नियुक्तियों की सभी शक्तियां निदेशालय को दे दी गई हैं, जिससे प्रक्रिया में विलंब हो रहा है।
तबादलों और स्कूल बंदी पर जताई आपत्ति
हेम राज ठाकुर ने मिड सेशन में सैकड़ों स्कूलों के बंद किए जाने और शिक्षकों के युक्तिकरण पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि बिना दूरी और छात्रों की संख्या का आकलन किए गए इस निर्णय ने शिक्षा व्यवस्था को झटका दिया है। इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर नीति में बदलाव और नियमितीकरण की तिथि को सीमित करना भी शिक्षकों के हित में नहीं है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने समय रहते इन नीतियों पर पुनर्विचार नहीं किया, तो प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे।