उत्तराखंड में बिना नशे वाले भांग के पौधे की होती है खेती, कुल्लू में भी पाया जाता
ewn24news choice of himachal 21 May,2023 4:12 pm
खेती लीगल करने के लिए उत्तराखंड गई टीम ने किया खुलासा
शिमला। उत्तराखंड में बिना नशे वाले भांग के पौधे की खेती होती है। यह पौधा कुल्लू में भी पाया जाता है। लोकल भाषा में इसे बिजाया कहा जाता है। इस पौधे का औषधी के रूप में प्रयोग तो होता ही है, वहीं इसके रेशे से कुर्ते और जैकेट भी बनाई जाती है।
इस भांग के पौधे की ऊंचाई 6 फीट तक होती है। इस बात का खुलासा हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने के पहलुओं का अध्ययन करने के लिए बनाई कमेटी के निरीक्षण के दौरान हुआ है।
बता दें कि हिमाचल में सरकार ने भांग की खेती लीगल करने की कवायद शुरू की है। इसके लिए बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। सीपीएस सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक डॉ. हंस राज, डॉ. जनक राज और पूर्ण चंद कमेटी के सदस्य हैं। कमेटी को इसी माह रिपोर्ट सरकार को सौंपनी है।
रिपोर्ट सौंपने से पहले कमेटी अध्यक्ष जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में उत्तराखंड पहुंची है। कमेटी के सदस्यों के साथ शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया, बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी भी मौजूद रहे। कमेटी के सदस्यों सहित अन्य ने आज उत्तराखंड के देहरादून में एक खेत में जाकर भांग की खेती का अवलोकन किया और तमाम पहलू जाने।
दिलचस्प बात यह है कि कमेटी के सदस्य कुल्लू के विधायक व सीपीएस सुंदर सिंह ठाकुर ने इस दौरान भांग के रेशे से बनी जैकेट पहनी थी। खेत का अवलोकन करने पहुंची टीम के साथ मौजूद एक व्यक्ति ने भांग के रेशे का कुर्ता पहना हुआ था।
सीपीएस सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि यह बिना नशे की खेती है। इससे कैंसर आदि बहुत सी दवाइयां बनती हैं। हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने के लिए बहुत बड़ी पहल शुरू की गई है।
इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। जो लोग नशे में फंस रहे हैं उन्हें एक विकल्प मिलेगा। बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी ने खेत में भांग के पौधे का अवलोकन करने के बाद कहा कि कुल्लू में भी ऐसा पौधा होता है।
लोकल भाषा में इसे बिजया कहते हैं। इसमें नशा नहीं होता है। यह नशा मुक्त पौधा है। इसे नशीली खेती नहीं कहा जा सकता है। इसका रेशा भी काम आता है। तना भी काम में आता है और भभूत भी काम में आती है। यह इंडस्ट्रियल हेम्प है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन नियम 63 के तहत भांग की खेती को लीगल करने को लेकर चर्चा लाई गई थी। द्रंग से भाजपा विधायक पूर्ण चंद ने सदन में इसकी चर्चा लाई थी।
विधानसभा सदस्यों ने भांग के औषधीय गुणों का हवाला देते हुए इसे लीगल करने की मांग उठाई थी, जिसके बाद सरकार ने इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन करने का ऐलान किया था। इसके बाद कमेटी का गठन किया गया। कमेटी को इसी माह रिपोर्ट सौंपनी है। रिपोर्ट सौंपने से पहले टीम उत्तराखंड पहुंची है।