शिमला। हिमाचल के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घटती जा रही है। वर्ष 2003 में प्रथम क्लास से पांचवीं तक लगभग 5,90,000 छात्र राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में पढ़ते थे, लेकिन आज इन छात्रों की संख्या घटकर 2,99,000 रह गई है।
वर्तमान में 50 फीसदी संख्या कम हुई है। मिडिल स्कूलों में छात्रों की एनरोलमेंट 3,81,000 के करीब थी। वर्तमान में यह संख्या घटकर 2,05,000 रह चुकी है। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की बात करें तो संख्या 1,84,000 के करीब थी, लेकिन अब यह 1,36,000 के करीब रह चुकी है।
अगर इसी तरह चलता रहा तो पूरे भारत में शिक्षा जगत में हिमाचल ने जो नाम कमाया है, वे धूमिल होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। यह जानकारी हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान 28 अगस्त, 2024 को एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने मुहैया करवाई है।
जानकारी दी है कि सरकार द्वारा 17 अगस्त 2024 को जारी अधिसूचना के अंतर्गत शिक्षा विभाग में 419 पाठशालाओं को मर्ज किया गया है, जिनमें 361 राजकीय प्राथमिक पाठशालाएं, 58 माध्यमिक पाठशालाएं हैं।
इसमें बिलासपुर जिला की 26, चंबा की 28, हमीरपुर की 24, कांगड़ा की 71, किन्नौर की सात, कुल्लू की 19, लाहौल स्पीति की 12, मंडी की 64, शिमला की 61, सिरमौर की 20, सोलन की 18 और ऊना की 11 प्राथमिक पाठशालाएं हैं।
वहीं, शिमला जिला की 26, कांगड़ा की 10, मंडी की पांच, हमीरपुर की चार, किन्नौर और ऊना की तीन-तीन, बिलासपुर की दो, चंबा, कुल्लू, लाहौल स्पीति, सिरमौर और सोलन की एक-एक माध्यमिक पाठशाला शामिल है।
इन पाठशालाओं को मर्ज करने का कारण 5 या 5 से कम नामांकन वाली राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं को उनके 2 किलोमीटर की परिधि में स्थित दूसरी प्राथमिक पाठशालाओं में मर्ज किया गया है।
5 या 5 से कम नामांकन वाली राजकीय माध्यमिक पाठशालाओं को उनके 3 किलोमीटर की परिथि में स्थित दूसरी माध्यमिक, उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं जहां 5 से अधिक बच्चे हों में मर्ज किया गया है।
जानकारी में बताया गया कि पाठशालाओं में छात्रों की संख्या कम होने का कारण मुख्यतः अभिभावकों में निजी पाठशालाओं में बच्चों कों पढ़ाने की रुचि बढ़ना है।
इसके अलावा प्रदेश में पूर्व में स्थापित स्कूलों के दायरे में नए राजकीय व निजी स्कूलों का खुलना भी विद्यालय में छात्रों की संख्या कम होने का कारण है। साथ ही वर्तमान परिवेश में अधिकतर लोगों का पलायन गांव से शहरों की तरफ हो रहा है, जिससे भी गांव के क्षेत्रों की अधिकतर पाठशालाओं में नामांकन संख्या घट रही है।