जगत नेगी बोले-जोशीमठ घटना Eye Opening, किन्नौर का बताया किस्सा
ewn24news choice of himachal 20 Jan,2023 6:08 pm
टनल में ब्लास्टिंग से घरों को पहुंचता है नुकसान
शिमला। उत्तराखंड के जोशीमठ की घटना से सभी को सबक लेनी की जरूरत है। इस तरह की घटनाओं में हाइडल प्रोजेक्ट के साथ साथ मानवीय गलतियां भी जिम्मेदार हैं। जोशीमठ को लेकर वैज्ञानिकों ने हाइडल प्रोजेक्ट के निर्माण से पहले ही चेताया था, लेकिन इसके बावजूद भी भवनों का निर्माण और पावर प्रोजेक्ट का निर्माण किया गया। हिमाचल प्रदेश में भी वैज्ञानिकों द्वारा 1,500 से अधिक क्षेत्रों को लैंडस्लाइड जोन घोषित किया है। बावजूद इसके लोग अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण करते हैं, जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
जनजातीय व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि जोशीमठ की घटना आई ओपनिंग (Eye Opening) है। हाइडल प्रोजेक्ट तो कारण हैं ही, अन्य भी कुछ कारण है। उन्होंने किन्नौर जिले का जिक्र करते हुए कहा कि कई इलाके में भूस्खलन की घटनाएं होती हैं, जिसके पीछे कई कारण हैं। हाइडल प्रोजेक्ट भी एक बड़ा कारण है, क्योंकि प्रोजेक्ट के निर्माण में कई किलो मीटर लंबी सुरंगों का निर्माण होता है, जिसमें ब्लास्टिंग की जाती है जो काफी सस्ती भी है।
ब्लास्टिंग के कारण सुरंग के ऊपर वाले हिस्से में कंपन होता है और मकानों और जमीन धसने और दरारें का खतरा रहता है। इसलिए प्रोजेक्ट के निर्माण में पर्यावरण प्रेमी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। जल विद्युत परियोजना के सुरंग निर्माण के दौरान टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए जो काफी सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि पहली बार 1995 में एमएलए बना तो नाथपा झाकड़ी प्रोजेक्ट आखिरी स्टेज पर था। लोगों में बहुत रोष था। 29 किलोमीटर का टनल नाथपा से झाकड़ी तक में बीच में जो गांव आते थे उन घरों में दरारें आ रही थीं। पर प्रोजेक्ट वाले मान नहीं रहे थे कि ब्लास्टिंग से ओवर हेड कोई हेड नुकसान नहीं होता है। उस समय पहली बार सेंटिफिक सर्वे करवाया। बैंगलोर की कंपनी को हायर किया था। पर कंपनी भी ऐसा न होने की बात कर रहे थे। हमने बात को नहीं माना। कंपनी के पदाधिकारियों को बुलाया और टनल के अंदर जीतना ब्लास्टिंग डाला जाता था वह डाला गया। उपर सिसमोग्राफ लगाए गए। ब्लास्टिंग किया तो सिसमोग्राफ की सुनियां घूमने लगीं। तब माना कि नुकसान होता है।