शिमला। छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीसों, किताबों व वर्दी की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार से वर्तमान विधानसभा सत्र में कानून व रेगुलेटरी कमीशन बनाने की मांग की है। मंच ने चेताया है कि अगर कानून न बना तो आंदोलन तेज होगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक विवेक कश्यप ने वर्ष 2023 में निजी स्कूलों की फीसों में लगभग 20 प्रतिशत की फीस बढ़ोतरी, ड्रेस व किताबों की कीमतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि पर कड़ा आक्रोश ज़ाहिर किया है व इसे शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार की नाकामी करार दिया है। वर्ष 2023 में शिमला शहर के निजी स्कूलों ने फीस 50 हजार से बढ़ाकर सीधे 60 हजार रुपये कर दी है। हर वर्ष छात्रों से 20 से 30 प्रतिशत अधिक फीस वसूली जा रही है, जबकि मूलभूत सुविधाओं के नाम पर छात्रों को कुछ नहीं मिल रहा है। दो छात्रों की व्यवस्था वाले डेस्क में तीन छात्रों को बिठाया जा रहा है। पुराने जर्जर डेस्कों से बच्चों के कपड़े फट रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लगभग 3 हजार रुपये तो मिसलेनियस चार्जेज ही वसूले जा रहे हैं, जिसका कोई हिसाब-किताब ऑन रिकॉर्ड वर्ष के अंत में अभिभावकों को उपलब्ध नहीं होता है। प्रत्येक छात्र की हजारों रुपये की किताबों व वर्दी में मिलने वाली छूट से अभिभावकों को वंचित करके यह राशि निजी स्कूल प्रबंधनों को कमीशन के रूप में थमाई जाती है।
यह एनसीईआरटी, एससीईआरटी, सीबीएसई व एमएचआरडी गाइडलाइनज़ का उल्लंघन है। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से अपील की है कि वह निजी स्कूलों पर नकेल लगाने के लिए कानून को अमलीजामा पहनाने की पहलकदमी करें, ताकि प्रदेश के सात लाख छात्रों व दस लाख अभिभावकों को न्याय मिल सके।