सोलन और मंडी के दो हजार किसानों के लिए अच्छी खबर- ऑनलाइन बिकेगी सब्जी-फल
ewn24news choice of himachal 13 Feb,2024 7:19 pm
कमीशनखोरी का खेल होगा खत्म
हमीरपुर। हिमाचल के किसानों की फल और सब्जियों को उचित बाजार मिलेगा और कमीशनखोरी का खेल भी खत्म होगा। जी हां किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म पर बड़ा और निश्चित बाजार उपलब्ध कराए जाने संबंधी कार्ययोजना को जापान इंटरनेशनल को-आपरेशन एजेंसी यानि जाइका ने मंजूरी दे दी है।
जाइका ने प्रारंभिक तौर पर एक वर्ष के लिए पायलट टेस्टिंग आधार पर योजना को धरातल पर उतारने को हरी झंडी दी है। इसे आज विधिवत रूप से कृषि निदेशक कुमुद सिंह, एचपीसीडीपी के निदेशक डॉ सुनील चौहान, जापान के टोक्यो स्थित जाइका एक्सपर्ट्स आदि ने वर्चुअल बैठक में राज्य में लांच भी कर दिया।
इस डिजिटल एग्री मार्केटिंग प्लेटफार्म को धरातल पर उतारने का जिम्मा 'देहात' (DEHAT) नामक एक निजी कंपनी को दिया गया है। एक साल में इसकी सफलता के आधार पर एचपीसीडीपी से संबंधित और राज्य के आम किसानों के लिए इस डिजिटल ढांचे को विकसित करने की दिशा में राज्य सरकार कदम बढ़ाएगी।
बता दें कि हिमाचल के लाखों किसानों के यहां पैदा होने वाली सब्जियों और फलों को बाजार की कमी से जूझने की लंबे दौर से चली आ रही समस्या का समाधान बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म से खोजने के गंभीर प्रयास शुरू किए गए थे।
इसी कड़ी में हिमाचल में फसल विविधिकरण को प्रोत्साहन देने के लिए चलाई जा रही हमीरपुर स्थित परियोजना के जरिये ही किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म पर बड़ा और निश्चित बाजार उपलब्ध कराए जाने संबंधी कार्ययोजना कुछ महीने पहले तैयार की गई। इसी योजना को जापान इंटरनेशनल को-आपरेशन एजेंसी यानि जाइका ने अब मंजूर कर लिया है।
परियोजना में हिमाचल सरकार के मीडिया सलाहकार राजेश्वर ठाकुर ने बताया कि वर्तमान में राज्य के लाखों किसानों के पास अपने यहां पैदा होने वाली तमाम किस्म की सब्जियों जैसे, टमाटर, ब्रोकली, गोभी, मटर, भिंडी, बैंगन, शिमला मिर्च और फलों में सेब, अमरूद अनार आदि को उचित बाजार नहीं मिल पाता है।
राज्य सरकार के जिलों में स्थापित एपीएमसी मंडियों के बाजार में भी किसानों को एक निश्चित आय और क्रेता मिलने की संभावनाएं मजबूत नहीं रहती हैं। इससे किसान की चिंता अपने उत्पादों को लेकर इस अनिश्चितता के अलावा मध्यस्थों की बेतहाशा कमीशनखोरी के खेल के कारण भी हर सीजन में बढ़ती जाती है।
इसके लिए जाइका ने कुल डेढ़ करोड़ रुपए मंजूर किए हैं, जिसके तहत 'देहात' नामक निजी कंपनी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पहले पायलट टेस्टिंग के आधार पर सोलन और मंडी जिलों के किसानों के लिए नेटवर्क तैयार करेगी।
इसमें अमेजन जैसे डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म की तरह ही 'देहात' दोनों जिलों के सब्जी व फल उत्पादक किसानों को प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करेगी। साथ में देश भर क्रेताओं को भी यहीं पर पंजीकृत किया जाएगा।
ये होगा फायदा
इसका फायदा यह होगा कि सोलन और मंडी जिलों के दो हजार किसानों के यहां पैदा होने वाली सब्जियों , फलों को इसी डिजिटल प्लेटफॉर्म से क्रेताओं तक लिंक किया जाएगा। कंपनी किसानों की पैदावार को इसकी बिक्री का पूरा इंतजाम ऑनलाइन करेगी। जैसे निजी मार्केटिंग प्लेटफॉर्म पर आप प्रोडक्ट्स सर्च करके हासिल कर लेते हैं वैसे ही यह कंपनी का प्लेटफॉर्म काम करेगा। एक साल के लिए यह प्रयोग के तौर पर किया जा रहा है।
इसके बाद इसकी सफलता के बाद इसे पूरे राज्य के किसानों के लिए न केवल एचपीसीडीपी में लागू किया जाएगा बल्कि आम किसानों के उत्पाद भी इसी तर्ज पर बिकेंगे और बाजार का लंबे समय से चला आ रहा संकट समाप्त हो सकेगा।
राजेश्वर ठाकुर ने बताया कि इस मंच से कंपनी किसानों की सब्जियों को एकमुश्त खरीदार तक पहुंचाएगी। इस दौरान कंपनी की ओर से ही किसानों के क्लस्टरों से सब्जियां थोक में उठाकर यातायात सुविधा प्रदान करके सम्बंधित बाजार तक सीधे मुहैया करवाई जाएगी।
एचपीसीडीपी के निदेशक डॉ सुनील चौहान ने बताया कि इस मंच पर क्रेता और विक्रेता को पूरा विश्वसनीय माहौल मिलेगा और बाजार की अनिश्चितता दूर होगी। किसान अपने उत्पादों को मध्यस्थों के जाल से भी बचा पाएगा।