भाई दूज की सही तिथि को लेकर न हों कन्फ्यूज : जानें सही समय और शुभ मुहूर्त
ewn24news choice of himachal 14 Nov,2023 12:59 pm
पंचांग के अनुसार 15 नवंबर है भाई दूज की सही तिथि
रक्षा बंधन की तरह ही भाई दूज के त्योहार को लेकर भी कई लोग कन्फ्यूज हैं। कुछ बहनों ने तो आज ही भाई दूज का त्योहार मना लिया है वहीं कुछ भाई-बहन कल इस त्योहार को मनाएंगे। हालांकि ये भाई-बहन के पवित्र बंधन से जुड़ा त्योहार है लेकिन फिर जो लोग सही तिथि और मुहूर्त को देखकर ही त्योहार मनाना उचित समझते हैं उन लोगों की कन्फ्यूजन हम दूर किए देते हैं।
भाई दूज का त्योहार हर साल पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि दो दिन 14 और 15 नवंबर को होने की वजह से भाई दूज की तारीख को लेकर लोग कन्फ्यूजन में हैं कि भाई दूज कब है। 14 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाना सही होगा या 15 नवंबर को। पंचांग के अनुसार भाई दूज की सही तिथि 15 नवंबर है।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवंबर दोपहर 02.36 बजे से शुरू हो जाएगी और इसका समापन 15 नवंबर को दोपहर 01.47 बजे होगा। उदया तिथि के चलते भाई दूज का त्योहार 15 नवंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज 15 नवंबर को बहन से टीका लेने के लिए शुभ चौघड़िया इस प्रकार है-
टीका लगवाने का पहला शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 43 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक लाभ चौघड़िया
टीका लगवाने का दूसरा शुभ मुहूर्त- सुबह 8 बजकर 4 मिनट से 9 बजकर 4 मिनट तक अमृत चौघड़िया
टीका लगवाने का तीसरा शुभ मुहूर्त - सुबह 10 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 05 मिनट तक अमृत चौघड़िया
भाई दूज के दिन यमुना के जल या शुद्ध जल से स्नान करें।
अपनी बहन के घर जाएं और बहन के हाथों से बना हुआ खाना खाएं।
बहन अपने भाई को खाना खिलाएं और उसका तिलक-आरती करे।
फिर भाई अपने सामर्थ्य के मुताबिक बहन को कुछ उपहार दें।
भाई दूज यानी यम द्वितीया पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनें व्रत भी रखती हैं।
भाई दूज के दिन यमराज के साथ उनके सचिव चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है।
भाई दूज का महत्व
स्कंद पुराण में भातृ द्वितीया यानी भाई दूज के बारे में बताया गया है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने अपने घर में पूजन करके भाई यम यानी यमराज का सत्कार किया था और अपने हाथों से भोजन बनाकर भाई को टीका दिया था और भोजन करवाया था। उस समय से ही कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का नाम भाई दूज और यम द्वितीया हो गया। भाई दूज के अवसर पर यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था कि जो भी भाई यम द्वितीया के दिन अपनी बहन से टीका लगवाएगा और बहन के हाथों से बना भोजन करेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।