हिमाचल में माइनिंग का बड़ा घोटाला : बिना लीज के चल रहे थे 63 स्टोन क्रशर
ewn24news choice of himachal 20 Nov,2023 2:54 pm
मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस पर सख्ती से पेश आने के दिए निर्देश
शिमला। हिमाचल प्रदेश में माइनिंग का बड़ा घोटाला सामने आया है। प्रदेश में बीते 5 साल से 63 के करीब स्टोन क्रशर बिना लीज के चल रहे थे। इससे सरकार को करीब 100 करोड़ का चूना लगा है। इन स्टोन क्रशर के द्वारा कोई भी रॉयल्टी उद्योग विभाग को नहीं दी गई। वहीं, मुख्यमंत्री ने इस पर सख्ती से पेश आने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आपदा के दौरान स्टोन क्रेशर को लेकर हाई पावर कमेटी का गठन किया गया था और उसने अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
इसमें ब्यास बेसन में कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा में 131 स्टोन क्रेशर पाए गए। इसमें हैरानी की बात है कि 63 स्टोन क्रेशर के पास लीज ही नहीं थी। पूर्व की भाजपा सरकार में बिना लीज के ही प्रदेश में स्टोन क्रशर चल रहे थे। यह माइनिंग का बहुत बड़ा घोटाला है।
बीते पांच साल में प्रदेश को 50 से 100 करोड़ का नुकसान इसकी वजह से हुआ है। अभी केवल 4 जिलों में ही स्टोन क्रशर की जांच की है और उसमें ही इतने क्रशर बिना अनुमति के चल रहे थे। अन्य जिलों में भी देखा जाएगा कि जो क्रेशर चल रहे हैं, उनके पास लीज है या नहीं है।
प्रदेश में 63 स्टोन क्रशर बिना अनुमति के चल रहे थे, जिन्होंने किसी भी प्रकार की रॉयल्टी सरकार को नहीं दी। इसको लेकर सरकार सख्त है और विभाग को रॉयल्टी लेने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन स्टोन क्रेशर के पास लीज है, उन्हें खोलने के निर्देश दे दिए गए हैं और जिनकी थोड़ी बहुत कमियां हैं, उनको दूर करने को कहा है।
वहीं, राजस्व विभाग से जुड़े मामलों पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार ने प्रदेश में पहली बार तेजी से इंतकाल के मामलों को निपटाया है। सरकार जल्द ही इंतकाल अदालतों के माध्यम से प्रदेश में इंतकाल के जीरो मामले होने का लक्ष्य प्राप्त कर लेगी।
इसके बाद पार्टीशन और म्यूटेशन को लेकर जुड़े मामलों के लिए भी सरकार इसी आधार पर अदालतें चलाएगी।
इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने पूर्व भाजपा सरकार के जनमंच कार्यक्रम पर प्रहार करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार पूर्व सरकार की तरह सार्वजनिक कार्यक्रमों में अधिकारियों को डांट फटकार लगाने का काम नहीं करेगी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसे आजादी के बाद सबसे बड़ा व्यवस्था परिवर्तन बताया है।