चांद के बाद अब सूर्य की ओर भारत : ISRO के Aditya-L1 की कामयाब लॉन्चिंग
ewn24news choice of himachal 02 Sep,2023 1:07 pm
भारत के सूर्य मिशन पर टिकी है पूरी दुनिया की नजर
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने वाला है। चांद दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद अब पूरी दुनिया की नजर ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं। श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्चिंग सेंटर से ISRO के सूर्य मिशन आदित्य-L1 मिशन को 11.50 बजे लॉन्च किया गया है।
आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा। लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डाटा भेजना शुरू कर देगा।
आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है। लॉन्च के करीब 63 मिनट बाद रॉकेट से आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएगा। रॉकेट वैसे तो आदित्य को 25 मिनट में ही तय कक्षा में पहुंचा देगा। यह इस रॉकेट की सबसे लंबी उड़ानों में से एक है। आदित्य-L1 अपनी यात्रा की शुरुआत लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) से कर चुका है।
PSLV-XL रॉकेट कुछ देर में आदित्य- L1 को उसके लिए तय किए गए LEO में छोड़ देगा। यहां से यह धरती के चारों तरफ 16 दिन तक पांच ऑर्बिट मेन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फीयर ऑफ इन्फ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा। यहां से आदित्य-L1 को हैलो ऑर्बिट (Halo Orbit) में डाला जाएगा। जहां पर L1 प्वाइंट होता है। इस यात्रा में इसे 109 दिन लगेंगे। आदित्य-L1 को दो बड़े ऑर्बिट में जाना है, लिहाजा यह यात्रा बेहद कठिन है।
आदित्य-L1 के साथ सूरज की स्टडी करने के लिए सात पेलोड्स भी शामिल हैं। इसमें PAPA पेलोड की काफी चर्चा है। ये अपने खास नामकरण की वजह से भी लोगों की उत्सुकता का केंद्र है। PAPA यानी प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य। यह सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन और भारी आयन की दिशाओं की स्टडी करेगा। कितनी गर्मी है इन हवाओं में इसका पता करेगा। इसके साथ ही चार्ज्ड कणों यानी आयंस के वजन का भी पता करेगा।
लैरेंज प्वाइंट जिसे शॉर्ट फॉर्म में L कहा जा रहा है। आदित्य-L1 को सूर्य के निकट इसी पॉइंट पर पहुंचना है। यह नाम गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैरेंज के नाम पर दिया गया है। इन्होंने ही इन लैरेंज प्वाइंट्स को खोजा था। जब किसी दो घूमते हुए अंतरिक्षीय वस्तुओं के बीच ग्रैविटी का एक ऐसा प्वाइंट आता है, जहां पर कोई भी वस्तु या सैटेलाइट दोनों ग्रहों या तारों की गुरुत्वाकर्षण से बचा रहता है। आदित्य-L1 के मामले में यह धरती और सूरज दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बचा रहेगा।